पटना, 8 अगस्त 2025। बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। गठबंधन का एक अहम हिस्सा, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान के तीखे बयान NDA के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं। खासकर बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर कानून-व्यवस्था को लेकर उनकी लगातार आलोचना ने गठबंधन के भीतर बेचैनी पैदा कर दी है। सूत्रों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) का शीर्ष नेतृत्व अब इस मामले में हस्तक्षेप करने की तैयारी में है, ताकि चिराग के बयानों से गठबंधन की एकजुटता को कोई नुकसान न पहुंचे।
बिहार में कानून-व्यवस्था पर चिराग का हमला
पिछले कुछ महीनों में बिहार में गोलीबारी और हत्या की घटनाओं में वृद्धि ने नीतीश सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इस बीच, चिराग पासवान ने मौके का फायदा उठाते हुए नीतीश सरकार पर तीखे हमले किए हैं। उनकी आलोचना ने विपक्षी महागठबंधन को भी नीतीश सरकार को घेरने का सुनहरा अवसर दे दिया है। हालांकि, चिराग का यह रुख NDA के लिए असहज स्थिति पैदा कर रहा है, क्योंकि गठबंधन का हिस्सा होने के बावजूद उनकी टिप्पणियां नीतीश सरकार को कमजोर दिखाने का काम कर रही हैं।
चुनावी रणनीति पर भ्रम की स्थिति
चिराग पासवान न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि सार्वजनिक मंचों पर यह भी कहते रहे हैं कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव में हिस्सा लेगी। केंद्रीय मंत्री होने के बावजूद उनके इस तरह के बयान NDA के नेताओं और कार्यकर्ताओं में भ्रम पैदा कर रहे हैं। इससे गठबंधन की एकजुटता पर सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने हाल ही में चिराग से मुलाकात की और उन्हें समझाया कि उनके बयान न केवल जनता में भ्रम पैदा करते हैं, बल्कि गठबंधन के कार्यकर्ताओं में भी असमंजस की स्थिति बनाते हैं।
सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी जल्द ही चिराग के साथ एक और बैठक करने की योजना बना रही है। इस बैठक में उन्हें साफ संदेश दिया जा सकता है कि वे विवादास्पद बयानों से बचें और गठबंधन के प्रति एकजुटता का प्रदर्शन करें। खासकर, नीतीश सरकार को लेकर ऐसी टिप्पणियों से परहेज करने की सलाह दी जा सकती है, जो विपक्ष को हमला करने का मौका देती हों।
चिराग का अंदाज: फायदे और नुकसान
चिराग पासवान की आक्रामक शैली उनकी युवा छवि और जोशीले अंदाज से मेल खाती है, जो एक खास वोटर वर्ग, खासकर युवाओं में, उनकी लोकप्रियता को बढ़ाती है। लेकिन NDA के लिए यह रणनीति उलटी पड़ रही है। उनके बयान विपक्ष को नीतीश सरकार पर निशाना साधने का मौका दे रहे हैं, जिससे गठबंधन की एकजुटता कमजोर हो रही है। बीजेपी नेतृत्व इस बात को लेकर सतर्क है कि अगर बिहार में दोनों गठबंधनों के बीच कांटे की टक्कर हुई, तो छोटी-सी चूक भी बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।
BJP का चिराग को संदेश
सूत्रों के अनुसार, बीजेपी नेतृत्व चिराग को यह समझाने की कोशिश करेगा कि उनकी उम्र और ऊर्जा उनके पक्ष में है। युवा वोटरों के बीच उनकी मजबूत पकड़ और राजनीतिक भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए उन्हें धैर्य और संयम के साथ गठबंधन की रणनीति का पालन करना चाहिए। बीजेपी यह भी स्पष्ट कर सकती है कि चिराग के बयानों से गठबंधन की एकता को नुकसान नहीं होना चाहिए।
पिछले चुनावों का सबक
चिराग पासवान के बयानों से बीजेपी इसलिए भी चिंतित है, क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग ने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा था। उनकी पार्टी ने जनता दल (यूनाइटेड) (JDU) को भारी नुकसान पहुंचाया था, जिसका फायदा विपक्ष को मिला था। इस बार बीजेपी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। गठबंधन के सभी सहयोगियों को एकजुट रखने और एक ही आवाज में बोलने की रणनीति पर काम किया जा रहा है।
आगे की राह
बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और NDA के लिए यह बेहद जरूरी है कि गठबंधन के सभी नेता एकजुट होकर मैदान में उतरें। चिराग पासवान की लोकप्रियता और उनकी पार्टी का बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन उनके बयानों से गठबंधन को नुकसान पहुंचने की आशंका को बीजेपी गंभीरता से ले रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चिराग अपनी आक्रामक शैली में बदलाव लाते हैं या फिर NDA के भीतर यह तनाव और गहराता है।
बिहार के सियासी रण में NDA की जीत के लिए एकजुटता और रणनीतिक संयम जरूरी है। चिराग पासवान के बयानों ने भले ही उन्हें सुर्खियों में रखा हो, लेकिन गठबंधन की एकता के लिए अब उन्हें अपने तेवरों पर लगाम लगाने की जरूरत है। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व इस दिशा में कदम उठा रहा है, और चिराग के अगले कदम पर सभी की नजरें टिकी हैं।