लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) में टूट के बाद आज यानी मंगलवार को चिराग पासवान ने एक बार फिर दर्द भरा पत्र जारी किया है। उन्होंने इस पत्र के माध्यम से पार्टी में टूट के लिए जेडीयू और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कसूरवार ठहराया है। वहीं, चाचा पशुपति पारस पर विश्वासघात करने का आरोप भी लगाया। चिराग ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर अपना पत्र जनता और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ साझा किया है।
नीतीश कुमार ने हमेशा हमारी पार्टी को तोड़ने का काम किया
पत्र में चिराग ने नता दल (यूनाइटेड) पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हमेशा हमारी पार्टी को तोड़ने का काम किया। 2005 फरवरी के चुनाव में हमारे 29 विधायकों को तोड़ा गया और साथ ही साथ हमारे बिहार प्रदेश के अध्यक्ष को भी तोड़ने का काम किया गया। उसके बाद 2020 में जीते हुए एक विधायक को भी तोड़ने का काम जेडीयू ने किया। आज लोक जनशक्ति पार्टी के 5 सांसदों को तोड़ जनता दल (यूनाइटेड) ने अपनी बांटो और शासन करो की रणनीति को दोहराया है।
चिराग ने आगे लिखा कि रामविलास पासवान के जीवनकाल में कई बार नीतीश कुमार की ओर से उनकी राजनीतिक हत्या का प्रयास किया गया। दलित व महादलित में बंटवारा करवाना उसी का एक उदाहरण है। उन्होंने मुझे और मेरे पिता को अपमानित करने का और राजनीतिक तौर पर समाप्त करने का कोई मौका नहीं छोड़ा। इतना कुछ होने पर भी रामविलास पासवान नहीं झुके। लोकसभा के चुनाव में हमारे 6 सांसदों को हराने में जनता दल (यूनाइटेड) के नेताओं ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
चाचा पशुपति पारस पर भी साधा निशाना
चिराग ने पत्र में चाचा पशुपति पारस पर निशाना साधा और कहा कि चाचा ने विश्वासघात किया है। उन्होंने लिखा कि मुझे ताज्जुब होता है कि पार्टी से निष्कासित सांसद कैसे एक ऐसे व्यक्ति के साथ खड़े हो सकते हैं, जिन्होंने हमेशा रामविलास पासवान को ही नहीं बल्कि बिहार की जनता को धोखा देने का काम किया. नीतीश कुमार ये बर्दाश्त ही नहीं कर सकते कि कोई दलित राजनीति में आगे बढ़े फिर चाहे वो कोई भी हो।
पशुपति पारस को बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने को लेकर भी दिया जवाब
चिराग ने पत्र में कहा कि मेरे चाचा पशुपति पारस को मैंने बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद से नहीं हटाया बल्कि मेरे पापा दिवंगत रामविलास पासवान ने हटाया था। चिराग ने कहा कि पापा ने कभी मेरे और चचेरे भाई प्रिंस में कोई फर्क नहीं समझा। वे चाहते थे हमलोग मिलकर काम करे और पार्टी की जिम्मेदारी को समझें, इसलिए चाचा को हटाकर प्रिंस को बिहार प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।