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Sunday, June 1, 2025

चीन की विस्तारवादी नीति: वैश्विक मंच पर सवाल उठाने का समय

नई दिल्ली, 16 मई 2025, शुक्रवार। आज जब विश्व शांति और सहयोग की राह तलाश रहा है, चीन अपनी विस्तारवादी नीतियों के चलते लगातार विवादों के केंद्र में बना हुआ है। भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच चीन बार-बार अपनी चालबाजियों से बाज नहीं आ रहा। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसने पाकिस्तान को सैन्य हथियारों की मदद पहुंचाई, लेकिन भारत के अचूक एयर डिफेंस सिस्टम ने इन हथियारों को हवा में ही खिलौनों की तरह नष्ट कर दिया। इस घटना ने न केवल अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी रक्षा हथियारों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए, बल्कि भारत के रक्षा तंत्र की ताकत को वैश्विक मंच पर स्थापित किया।

चीन की बौखलाहट और हथकंडे

इस करारी शिकस्त से बौखलाया चीन अब भारत को आंख दिखाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। कभी वह दक्षिण चीन सागर में अपने युद्धपोत भेजकर शक्ति प्रदर्शन करता है, तो कभी अरुणाचल प्रदेश के गांवों के नाम बदलकर अपनी विस्तारवादी मंशा जाहिर करता है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि अपनी सीमाओं की ओर आंख उठाने से पहले चीन को अपनी नजरें सीधी और नीची रखनी होंगी।

चीन की इन हरकतों का जवाब न केवल भारत, बल्कि ताइवान और वियतनाम जैसे देश भी दे रहे हैं, जो दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी से त्रस्त हैं। दोनों देशों ने आतंकवाद और विस्तारवाद के खिलाफ भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का ऐलान किया है। दूसरी ओर, चीन कभी पाकिस्तान के साथ सांठ-गांठ करता दिखता है, तो कभी पहलगाम हमले की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग उठाकर अपनी कुटिल चालें चलता है।

चीन का कब्जा: एक कड़वी सच्चाई

चीन की विस्तारवादी नीति कोई नई बात नहीं है। उसके 9.6 मिलियन वर्ग किलोमीटर के भूभाग का लगभग 60% हिस्सा उन क्षेत्रों से मिलकर बना है, जिन्हें उसने कब्जे में लिया है। इनमें शामिल हैं:

पूर्वी तुर्किस्तान: 1.8 मिलियन वर्ग किलोमीटर

तिब्बत: 2.5 मिलियन वर्ग किलोमीटर

दक्षिणी मंगोलिया: 1.2 मिलियन वर्ग किलोमीटर

मंचूरिया: 84 हजार वर्ग किलोमीटर

इतना ही नहीं, दक्षिण चीन सागर में चीन ने फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, ताइवान और अन्य देशों के 3 मिलियन वर्ग किलोमीटर समुद्री क्षेत्र पर कब्जा जमाया हुआ है। हिमालयी क्षेत्र में भी वह भारत, नेपाल और भूटान की सीमाओं पर बार-बार घुसपैठ की कोशिश करता है।

गलवान में मिला सबक

हाल ही में लद्दाख की गलवान घाटी में चीन ने घुसपैठ की गुस्ताखी की, लेकिन भारतीय सेना ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया। वीर जवानों ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को मात दी और 30-40 चीनी सैनिकों को ढेर कर दिया। हैरानी की बात यह थी कि चीन ने अपने सैनिकों की मौत की खबर को लंबे समय तक छिपाया और आंकड़ों को दबाने की कोशिश की।

वैश्विक मंच पर सवाल जरूरी

चीन की इन हरकतों से साफ है कि वह अपनी विस्तारवादी नीति के जरिए न केवल पड़ोसी देशों, बल्कि वैश्विक शांति के लिए खतरा बन रहा है। अब समय आ गया है कि वैश्विक समुदाय चीन से उसके कब्जे वाले क्षेत्रों और विस्तारवादी मंसूबों पर सवाल उठाए। भारत ने अपनी सैन्य ताकत और कूटनीतिक सूझबूझ से यह दिखा दिया है कि वह किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है।

चीन को समझना होगा कि आंखें दिखाकर या चालबाजियों से वह न तो भारत को डरा सकता है और न ही वैश्विक मंच पर अपनी साख बचा सकता है। शांति और सहयोग का रास्ता ही एकमात्र विकल्प है, और इसके लिए उसे अपनी विस्तारवादी नीतियों पर लगाम लगानी होगी।

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