नई दिल्ली, 19 अगस्त 2025: चीन ने भारत की तीन प्रमुख चिंताओं—उर्वरक, दुर्लभ मृदा (रेयर अर्थ) और सुरंग खोदने वाली मशीनों की आपूर्ति—का समाधान करने का आश्वासन दिया है। चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने सोमवार को अपनी दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ मुलाकात में यह वादा किया।
जयशंकर-वांग यी वार्ता में द्विपक्षीय संबंधों पर जोर
नई दिल्ली में हुई इस उच्चस्तरीय वार्ता में दोनों नेताओं ने आर्थिक और व्यापारिक सहयोग, तीर्थयात्रा, लोगों के बीच संपर्क, नदी डेटा साझाकरण, सीमा व्यापार और द्विपक्षीय आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत और चीन, पड़ोसी देशों और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के रूप में, स्थिर और रचनात्मक संबंधों से न केवल दोनों देशों को, बल्कि वैश्विक समुदाय को भी लाभ होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि आपसी सम्मान, हित और संवेदनशीलता के आधार पर संबंधों को आगे बढ़ाना जरूरी है।
“मतभेद विवाद में न बदलें”
जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री के साथ बातचीत में रेखांकित किया कि मतभेदों को विवाद या प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में बदलने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि वांग यी की यह यात्रा दोनों देशों को अपने संबंधों की समीक्षा करने और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करती है।
पूर्वी लद्दाख में तनाव घटाने की दिशा में प्रगति
भारत-चीन संबंधों में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 में शुरू हुए गतिरोध के कारण तनाव देखा गया था। हालांकि, हाल के महीनों में दोनों देशों ने तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं। 2024 के ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले दोनों पक्षों ने गश्त व्यवस्था पर सहमति बनाई, जिससे सीमा पर स्थिति में सुधार हुआ। भारत ने एलएसी पर शांति और स्थिरता के लिए लगातार कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया है।
आर्थिक बाधाओं से बचने की अपील
जयशंकर ने अपने भाषण में व्यापारिक प्रतिबंधों और बाधाओं से बचने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के बीच रचनात्मक संबंध वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। इस मुलाकात को दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।