नई दिल्ली, 10 अगस्त 2025: रक्षाबंधन के पावन अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एक हृदयस्पर्शी समारोह आयोजित हुआ, जिसमें आशा स्कूलों के बच्चों और विभिन्न स्कूलों की छात्राओं ने भारतीय सेना प्रमुख (सीओएएस) को राखी बाँधकर स्नेह और विश्वास का अनूठा बंधन स्थापित किया। यह आयोजन न केवल रक्षाबंधन के त्योहार का उत्सव था, बल्कि भारतीय सेना की राष्ट्र और इसके नागरिकों की सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक भी बना।

आशा स्कूलों के बच्चों द्वारा सेना प्रमुख को बाँधी गई राखियाँ सुरक्षा, विश्वास और कृतज्ञता की भावना को दर्शाती थीं। सेना प्रमुख की कलाई, जो देश की रक्षा में “तलवार भुजा” का प्रतीक है, इन पवित्र धागों से सुशोभित हुई। यह दृश्य भारतीय सेना के दृढ़ संकल्प और नागरिकों के प्रति उनके प्रेम को रेखांकित करता है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे अभियानों में निर्णायक भूमिका निभाने वाली यह भुजा अब राष्ट्र की आशाओं और आशीर्वादों की वाहक बनी।

इस अवसर को और विशेष बनाने वाली बात थी देश भर से सैनिकों के लिए भेजी गई राखियाँ। ये राखियाँ देश के सबसे दुर्गम और चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में तैनात सैनिकों तक पहुँचाई गईं—हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर थार रेगिस्तान, घने जंगलों और कच्छ के रण तक। ये राखियाँ सैनिकों और नागरिकों के बीच प्रेम, विश्वास और एकता के अटूट बंधन का प्रतीक बनीं।

देश की बहनों द्वारा भेजी गई राखियाँ इस बात की सशक्त याद दिलाती हैं कि सीमाओं पर तैनात सैनिक न केवल देश के रक्षक हैं, बल्कि एक परिवार का हिस्सा भी हैं, जो हर नागरिक की सुरक्षा के लिए समर्पित हैं। यह समारोह सेना और जनता के बीच गहरे भावनात्मक रिश्ते को उजागर करता है, जो दूरी और चुनौतियों के बावजूद अटल है।

इस रक्षाबंधन पर भारतीय सेना ने एक बार फिर देश की सेवा और सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। रक्षाबंधन के इस पवित्र बंधन को सम्मान देते हुए, सेना ने पहाड़ों, जंगलों, रेगिस्तानों और नमक के मैदानों तक हर नागरिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने का संकल्प लिया।
