उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा में बोलते हुए कहा कि ढाई साल का बच्चा टोपी पहने व्यक्ति को गुंडा समझता है। दरअसल, विपक्षी समाजवादी पार्टी के सदस्य लाल टोपी पहन कर सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले रहे हैं। सीएम योगी ने एक वाकये का जिक्र करते हुए इसी बात पर टिप्पणी की।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एक बार मैं बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल में गया था, वहां एक बच्चे को अन्नप्राशन कराने के दौरान एक पार्टी के कुछ लोग विरोध करने पहुंच गए। उन्होंने टोपी पहनी थी। तभी उस महिला के साथ खड़े ढाई साल के बच्चे ने कहा कि मम्मी वह देखो गुंडा गुंडा। अब आप देखिए कि दो-ढाई साल के एक बच्चे के मन में टोपी पहनकर आने वाले व्यक्ति के बारे में क्या धारणा है। यह धारणा सामान्य रूप से बन चुकी है।’
सीएम ने कहा कि कभी हमारी इस विधायिका को लोग यह न मान लें कि यह ड्रामा कंपनी है। कोई लाल टोपी, कोई नीली टोपी, कोई पीली टोपी और कोई हरी टोपी पहन कर आ गया है। एक नई परिपाटी शुरू हो गई है। ऐसा तो कभी नहीं होता था। ड्रामा पार्टी में ही हम लोग यह सब देखते थे।
सीएम योगी ने अपील की कि सदन का कोई भी सदस्य इसे व्यक्तिगत आक्षेप न समझे। उन्होंने कहा, ‘नेता प्रतिपक्ष से अपील करूंगा। आप पगड़ी पहन कर आते, गांव का साफा पहन कर आते तो अच्छा लगता। आप तो वास्तव में उस यथार्थवादी परंपरा के बहुत सशक्त हस्ताक्षर रहे हैं जिसने समाजवादी आंदोलन को ईमानदारी से आगे बढ़ाने का कार्य किया था। आप लोगों को इस प्रकार की चीजों से परहेज करना चाहिए।’
विपक्ष की तरफ इशारा करते हुए योगी ने कहा, ‘क्या यह प्रदेश सिर्फ सत्ता पक्ष का ही है… क्या यह आपका नहीं है? यहां राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो के आंकड़ों को तोड़-मरोड़ कर कहा जाता है कि उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक अपराध हो रहे हैं। ऐसा करके हम देश और दुनिया को क्या संदेश दे रहे हैं।’
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश विधान मंडल के बजट सत्र के पहले दिन राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्ष के आचरण पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि ऐसी चीजों से वे विधायिका को ‘अविश्वसनीयता’ के दायरे में खड़ा कर रहे हैं। विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा ‘राज्यपाल प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख हैं। अगर सदन अपने संवैधानिक प्रमुखों का सम्मान नहीं करेगा तो लोकतांत्रिक प्रणाली के सामने स्वयं एक गंभीर संकट खड़ा होगा।’
योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘राज्यपाल का अपमान इस प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख का अपमान नहीं था, बल्कि वास्तव में हम विधायिका को एक अविश्वसनीयता के दायरे में खड़ा कर रहे हैं। जनता हमें संदेह की नजरों से इसीलिए देखती है क्योंकि हममें से हर व्यक्ति कहीं ना कहीं उस दायरे में आ जाता है।’ उन्होंने कहा, ‘राज्यपाल महोदया एक संवैधानिक प्रमुख होने के साथ-साथ महिला भी हैं। कम से कम महिला के नाते तो सम्मान कर लेते।’
गौरतलब है कि गत 18 फरवरी को राज्य विधान मंडल के बजट सत्र के पहले दिन समवेत सदन में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अभिभाषण किया था। विपक्ष दलों समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के सदस्यों ने इसका विरोध करते हुए सदन से वॉक आउट किया था।