भोपाल, 27 मार्च 2025, गुरुवार। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जनजातीय समुदाय के कल्याण और उत्थान के लिए एक मजबूत संकल्प जताया है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जनजातीय वर्ग के सभी हितग्राहियों को पक्का आवास उपलब्ध कराया जाए, ताकि कोई भी परिवार इस सुविधा से वंचित न रहे। चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना हो या मुख्यमंत्री आवास योजना, पात्रता के आधार पर हर जरूरतमंद को पक्के घर की सौगात दी जाएगी। यह बात उन्होंने बुधवार को भोपाल स्थित मुख्यमंत्री निवास के समत्व भवन में आयोजित “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” की समीक्षा बैठक में कही।
ग्रामीण विकास का नया अध्याय
इस बैठक में मुख्यमंत्री ने मैदानी स्तर पर अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर देते हुए सभी विभागीय अधिकारियों को ठोस दिशा-निर्देश दिए। गांवों और हितग्राहियों के चयन से लेकर तय कार्ययोजना और मापदंडों के अनुसार लक्षित क्षेत्रों में विकास कार्य सुनिश्चित करने की बात कही गई। डॉ. यादव ने इसे जनजातीय समुदाय के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और बुनियादी ढांचे जैसी सुविधाओं का विस्तार होगा।
उन्होंने कहा, “यह अभियान केवल घर बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जनजातीय परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने का एक संपूर्ण प्रयास है।” बैठक में मुख्य सचिव अनुराग जैन सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे, जिन्होंने अभियान की प्रगति और केंद्र सरकार को भेजे गए प्रस्तावों की समीक्षा में हिस्सा लिया।
टिकाऊ खेती और कुपोषण पर विशेष ध्यान
मुख्यमंत्री ने जनजातीय ग्रामों में टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी परीक्षण और किसानों को उचित फसल चयन की सलाह देने पर बल दिया। इसके साथ ही पर्यावरण अनुकूल खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सेमिनार आयोजित करने के निर्देश दिए। कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए उन्होंने जनजातीय परिवारों को दुधारू गाय उपलब्ध कराने की बात कही, ताकि बच्चों और माताओं का स्वास्थ्य बेहतर हो सके।
उन्होंने 89 जनजातीय विकासखंडों में प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ हर गांव तक पहुंचाने के लिए 31 मार्च 2025 तक सर्वे पूरा करने का लक्ष्य रखा। “हमारी मंशा हर परिवार को पक्का घर देने की है, और इसके लिए पूरी निष्ठा से काम करना होगा,” उन्होंने जोर देकर कहा।
पारंपरिक उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने की पहल
डॉ. यादव ने जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करने के लिए गांवों में सामुदायिक भवन बनाने का सुझाव दिया, जहां पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन जैसे आयोजन हो सकें। साथ ही, कोदो-कुटकी, रागी जैसे मोटे अनाजों की सरकारी खरीद और विशेष मंडियों की स्थापना का प्रस्ताव रखा, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले और बिचौलियों का प्रभाव खत्म हो।
उन्होंने पारंपरिक उत्पादों और खाद्य पदार्थों की बेहतर मार्केटिंग के लिए ई-कॉमर्स सुविधा शुरू करने की बात कही। “हमें जनजातीय समुदाय के हुनर और उत्पादों को देश-दुनिया तक पहुंचाना है। यह उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता का आधार बनेगा,” मुख्यमंत्री ने उत्साह के साथ कहा।
मत्स्य पालन और निर्यात की नई संभावनाएं
मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने निजी क्षेत्र की भागीदारी से मछली बीज तैयार करने की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। “प्रदेश में मछली उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। हमें निर्यात का दायरा बढ़ाना चाहिए,” उन्होंने कहा। साथ ही, जहां खेती संभव नहीं, वहां पशुपालन को प्रोत्साहित करने की बात कही, ताकि जनजातीय किसानों की आय में वृद्धि हो।
समृद्धि की ओर एक कदम
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का यह विजन मध्यप्रदेश के जनजातीय समुदाय के लिए एक नई सुबह लेकर आया है। पक्के घर से लेकर आर्थिक आत्मनिर्भरता तक, यह अभियान ग्रामीण जीवन को सशक्त बनाने का एक मजबूत संदेश देता है। केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से शुरू हुआ यह अभियान न केवल बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएगा, बल्कि जनजातीय संस्कृति और परंपराओं को भी नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।