लॉजिस्टिक नीति 2025 बनेगी नक्सल उन्मूलन का नया हथियार
बस्तर और सरगुजा में विकास से खुलेगा शांति का रास्ता
रायपुर, 30 जून 2025- छत्तीसगढ़ को देश के मुख्य लॉजिस्टिक हब के रूप में विकसित करने की दिशा में प्रदेश सरकार ने एक अहम फैसला लिया। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में “राज्य लॉजिस्टिक नीति 2025” को मंजूरी दी गई। यह नीति सिर्फ व्यापार की सुविधा बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि इसका असली मकसद छत्तीसगढ़ के पिछड़े इलाकों, विशेषकर बस्तर और सरगुजा को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है।
अब तक बस्तर जैसे क्षेत्र सिर्फ नक्सल गतिविधियों के लिए जाने जाते थे, जहाँ लोग विकास से कटे हुए थे। लेकिन अब इस नीति के ज़रिए वहाँ आधुनिक गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, लॉजिस्टिक हब, ट्रांसपोर्ट सेंटर और एयर कार्गो जैसी सुविधाएँ स्थापित की जाएँगी। जब ये सुविधाएँ वहाँ जाएँगी, तो सड़कें बनेंगी, बिज़नेस बढ़ेगा और युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोज़गार मिलेगा।
सरकार ने बस्तर और सरगुजा जैसे आदिवासी इलाकों के लिए विशेष प्रावधान भी किए हैं—जैसे निवेश पर 10% अतिरिक्त अनुदान और अधोसंरचना में 40% तक की सहायता। इसका अर्थ है कि जो कंपनियाँ इन क्षेत्रों में निवेश करेंगी, उन्हें सरकार की ओर से आर्थिक मदद मिलेगी।
इस नीति से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी विकास की नींव पड़ेगी। जब वहाँ काम के अवसर बढ़ेंगे, शिक्षा और व्यापार आएगा, तो लोगों को हथियार नहीं, रोज़गार पसंद आएगा। यही सरकार का असली उद्देश्य है—नक्सलवाद को बंदूक से नहीं, बल्कि विकास की रोशनी से हराना।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा है, “बस्तर और सरगुजा जैसे क्षेत्रों को अब विकास की नई पहचान दी जाएगी। यह नीति वहाँ के युवाओं को रोज़गार देगी, व्यापार को बढ़ावा देगी और क्षेत्र की तस्वीर बदलेगी।”
क्या है इस नीति में खास?
इस नीति के तहत वेयरहाउस (गोदाम), कोल्ड स्टोरेज (ठंडे भंडारण केंद्र), लॉजिस्टिक पार्क, ड्राय पोर्ट, एयर कार्गो टर्मिनल, और ट्रांसपोर्ट हब जैसे ढांचे बनेंगे। अब सोचिए, जब किसी किसान की सब्ज़ी को जल्दी ख़राब होने से बचाने के लिए उसके गाँव के पास कोल्ड स्टोरेज होगा, तो उसका नुकसान नहीं होगा। व्यापारियों को अपने सामान रखने की बेहतर जगह मिलेगी। ई-कॉमर्स कंपनियाँ जल्दी सामान भेज पाएंगी और युवाओं को उनके गांव में ही नौकरी मिलेगी।
सरकार ने निवेशकों को भी लुभाने के लिए ज़मीन खरीदने से लेकर पंजीयन कराने तक की तमाम रियायतें दी हैं। बड़े निवेश (500 करोड़ से ज़्यादा) करने या 1000 लोगों को रोज़गार देने वालों को अतिरिक्त सहायता मिलेगी।
बस्तर और सरगुजा को कैसे मिलेगा फायदा?
अब तक बस्तर और सरगुजा जैसे ज़िले सिर्फ नक्सल हिंसा, जंगलों और पिछड़ेपन के लिए जाने जाते थे। लेकिन यह नीति इन इलाकों की पहचान बदलने जा रही है। जब इन जगहों पर आधुनिक गोदाम, सड़कें, हवाई कार्गो केंद्र और ट्रांसपोर्ट हब बनेंगे, तो रोज़गार आएगा। युवाओं को रोज़गार मिलेगा, व्यापार बढ़ेगा और गांवों में पैसा आएगा। इससे वहां की ज़िंदगी बदलेगी और लोगों को बंदूक छोड़कर विकास का रास्ता अपनाने की प्रेरणा मिलेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना और यह नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पीएम गति शक्ति योजना’ की शुरुआत की थी, जिसमें पूरे देश की सड़कें, रेल, हवाई मार्ग, बंदरगाह और औद्योगिक क्षेत्रों को एक नक्शे पर लाकर जोड़ा जा रहा है। छत्तीसगढ़ की यह लॉजिस्टिक नीति उसी योजना से जुड़कर आगे बढ़ेगी, जिससे राज्य को केंद्र से भी तकनीकी और आर्थिक सहयोग मिलेगा।
यह नीति सिर्फ बड़े कारोबारियों के लिए नहीं है, बल्कि यह गांवों के किसानों, आदिवासी युवाओं, ट्रक चलाने वालों, गोदाम में काम करने वालों और छोटे व्यापारियों के लिए भी है। इसमें कौशल विकास की व्यवस्था है ताकि स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षण देकर नौकरी दी जा सके।
ग्रीन लॉजिस्टिक्स: पर्यावरण भी बचेगा
इस नीति की एक बड़ी खूबी यह भी है कि पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा गया है। अगर कोई निवेशक पर्यावरण के अनुकूल तकनीक जैसे इलेक्ट्रिक ट्रक, सोलर एनर्जी से चलने वाले गोदाम, और पानी बचाने वाली तकनीक लाता है, तो उसे 5% का अतिरिक्त अनुदान दिया जाएगा।
क्या बदलेगा?
सोचिए, जब रायपुर, बिलासपुर, जगदलपुर और कोरबा जैसे शहर आधुनिक लॉजिस्टिक हब बनेंगे, और वहीं पास के गांवों से किसान अपनी उपज सीधे गोदामों तक पहुँचा पाएंगे, तो यह सिर्फ व्यापार का फायदा नहीं होगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की पूरी तस्वीर बदलेगी।
आज जिस बस्तर को लोग सिर्फ जंगल और संघर्ष से पहचानते हैं, कल वहीं से फल, सब्ज़ियाँ, दवाइयाँ और मशीनें देश के कोने-कोने तक जाएंगी।