जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की आजादी को तीन साल हो गए हैं। इन तीन साल में नए जम्मू-कश्मीर की फिजां में जबर्दस्त बदलाव आया है। दहशत का माहौल लगभग काफूर हो गया है। डल झील के इलाके में देर रात तक चहल पहल है। झील में तैरते शिकारों पर पर्यटकों का शोर सन्नाटे को दूर तक चीरता हुआ बदले कश्मीर की तस्वीर सामने रखता है। जम्मू-कश्मीर के माहौल में न केवल बदलाव आया है, बल्कि आर्थिक विकास और पर्यटन को पंख लगे हैं। विकास का पहिया भी तेजी से घूम रहा है।
अलगाववादियों की जुबान बंद है। अब बंद की कॉल नहीं आती है। पत्थरबाजी और पत्थरबाज दोनों ही गायब हैं। हर शुक्रवार को फिजां में बारूद की गंध घुलने का सिलसिला थम गया है। रोजाना बाजार गुलजार रहते हैं। सबसे बड़ा बदलाव लाल चौक पर लहराता तिरंगा बयां करता है, जहां कभी तिरंगा फहराना सपना हुआ करता था। अब घंटा घर तिरंगे की रोशनी में नहाया रहता है। यहां लोग तिरंगा लेकर बड़े फख्र के साथ चलते हैं।
कारगिल विजय दिवस की पूर्व संध्या पर लाल चौक से भारत माता की जय के नारे लगाते कश्मीर समेत देशभर से पहुंचे युवाओं ने मोटरसाइकिल पर तिरंगा रैली निकाली। पत्थरबाजों के लिए कुख्यात डाउन टाउन में भी तिरंगे फहराए जाने लगे। शिवरात्रि पर कश्मीरी पंडितों की झांकियां भी डाउनटाउन से निकलीं। इस्कॉन के अनुयायियों ने भी झांकी निकाल रास्तेभर प्रसाद वितरण किया।