वाराणसी, 4 जून 2025, बुधवार। वाराणसी में विधान परिषद की नियम पुनरीक्षण समिति की हाई-प्रोफाइल बैठक ने चंदौली के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) को कटघरे में खड़ा कर दिया। मंगलवार को सर्किट हाउस में आयोजित इस बैठक में समिति की 10 सदस्यीय टीम ने वाराणसी और चंदौली के अधिकारियों से तीखे सवाल किए। स्वास्थ्य योजनाओं की प्रगति पर चंदौली के सीएमओ से जवाब मांगा गया, लेकिन अधूरी तैयारी के साथ पहुंचे सीएमओ सवालों का सामना नहीं कर सके। नतीजा? समिति ने उन्हें 4 जून को जौनपुर में होने वाली अगली बैठक में सभी दस्तावेजों के साथ हाजिर होने का सख्त आदेश दिया।
“बनारस में हुक्का बार और जुए के अड्डे बंद हों!” – एमएलसी का कड़ा रुख
बैठक में विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) आशुतोष सिन्हा ने वाराणसी की सांस्कृतिक पहचान पर मंडराते खतरे को लेकर पुलिस प्रशासन को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “काशी की पवित्रता को तार-तार किया जा रहा है। कुछ लोगों के संरक्षण में हुक्का बार, जुए के अड्डे और मसाज पार्लर के नाम पर देह व्यापार फल-फूल रहा है।” हाल के गैंगरेप मामलों में हुक्का बार की संलिप्तता का जिक्र करते हुए उन्होंने पुलिस को इन अवैध गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया। एमएलसी अन्नपूर्णा सिंह ने पुलिस और जनप्रतिनिधियों के बीच बेहतर समन्वय की वकालत करते हुए कहा कि निरंतर संवाद से जनहित के कार्यों को गति मिलेगी। बैठक में वीडीए वीसी पुलकित गर्ग, चंदौली एसपी आदित्य लहंगे, सीडीओ हिमांशु नागपाल और एडीएम प्रशासन बिपिन कुमार सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।
सभापति के नेतृत्व में तीखे सवाल, लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई का खतरा
सभापति धर्मेंद्र भारद्वाज की अगुवाई में समिति ने विधान परिषद के पत्रों पर कार्रवाई न होने और विशेषाधिकार हनन के मामलों को गंभीरता से लिया। समाज कल्याण, लोक निर्माण, शिक्षा, जल निगम, पंचायतीराज और विद्युत विभागों के कामकाज की बारीकी से समीक्षा की गई। समिति ने अधिकारियों से सवालों की बौछार की, जिसमें पिछले तीन सालों में विधान परिषद के पत्रों, याचिकाओं और विशेषाधिकार हनन के मामलों पर कार्रवाई का ब्योरा मांगा गया। लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को लखनऊ में स्पष्टीकरण के लिए तलब करने की चेतावनी भी दी गई।
समिति के सवाल जो बने अधिकारियों के लिए चुनौती
- पिछले तीन सालों में विधान परिषद के कितने पत्रों का जवाब दिया गया?
- नियमों के तहत कितनी सूचनाएं उपलब्ध कराई गईं?
- कितनी याचिकाओं पर कार्रवाई हुई?
- विशेषाधिकार हनन के कितने मामले लंबित हैं?
- विधान परिषद के कितने पत्र प्राप्त हुए और कितनों पर कार्रवाई हुई?
- विधायकों के प्रोटोकॉल उल्लंघन के कितने मामले लंबित हैं?
- विधायकों के कितने मामले बाकी हैं?
- जनप्रतिनिधियों को बैठक में न बुलाने के लिए कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं?
समिति का सख्त रुख, कई जिलों में पहले भी हो चुकी कार्रवाई
यह समिति पहले भी मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, अलीगढ़, आगरा और कानपुर मंडल में अपनी पैनी नजर जमा चुकी है। जनवरी और मार्च में हुई बैठकों में नियमों का उल्लंघन करने और जनप्रतिनिधियों के पत्रों को अनदेखा करने वाले कई अधिकारियों को लखनऊ तलब किया गया था। वाराणसी और चंदौली में भी लापरवाह अधिकारियों पर गाज गिरने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।