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Monday, June 23, 2025

पुष्कर सिंह धामी के सामने दो मिथक तोड़ने की चुनौती, क्या लगेगी मुख्यमंत्री की नैया पार

भाजपा ने उत्तराखंड की पांचवी विधानसभा के लिए 59 प्रत्याशियों को चुनावी समर में उतार दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उनकी पारंपरिक विधानसभा सीट खटीमा से मैदान में उतारा गया है। धामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का युवा चेहरा हैं। पुष्कर के सामने दो अहम मिथकों को तोड़ने की दुष्कर चुनौती है। सियासी जानकारों के अनुसार, उनके नेतृत्व में ये दोनों मिथक तोड़ने में पुष्कर कामयाब हुए तो फिर भाजपा को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता।
पहला मिथक मुख्यमंत्री से ही जुड़ा है। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद हुए चार विधानसभा चुनाव का इतिहास रहा है कि इनमें मुख्यमंत्री रहते हुए जिस राजनेता ने चुनाव लड़ा, उसे पराजय का सामना करना पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल बीसी खंडूड़ी और हरीश रावत इसके उदाहरण हैं।

2012 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने खंडूड़ी हैं जरूरी का नारा दिया। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री जनरल खंडूड़ी कोटद्वार विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे। उन्हें कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी ने हराया था। 2017 में कांग्रेस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को चेहरा बनाया था। रावत हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें भी दोनों सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा। दो सीटों पर पराजय ने हरीश रावत के राजनीतिक करियर पर सवालिया निशान लगा दिए थे।

पार्टी ने खटीमा से मैदान में उतारा

2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 46 वर्षीय युवा पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में चुनाव लड़ रही है। टिकटों के एलान से पहले धामी के बारे में यह चर्चा थी कि वह खटीमा के स्थान पर डीडीहाट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। लेकिन उन्होंने खुद खटीमा से चुनाव लड़ने का एलान किया था। पार्टी ने उन्हें खटीमा से मैदान में उतार दिया है। धामी पिछले 10 साल से खटीमा विधानसभा सीट से विधायक हैं। इस सीट पर यह उनका तीसरा चुनाव है। अपनी जीत को लेकर वह बेहद आश्वस्त हैं।

मुख्यमंत्री के सामने उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार सरकार न बना पाने के मिथक को तोड़ने की भी चुनौती है। पिछले चार चुनाव से यह मिथक बना हुआ है। 2002 में प्रदेश में कांग्रेस सत्ता पर काबिज हुई। 2007 में वह सत्ता से बाहर हो गई और भाजपा की सरकार बनी। 2012 में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा और सत्ता की बागडोर कांग्रेस के हाथों में आ गई। 2017 में फिर कांग्रेस की सत्ता से विदाई हुई और भाजपा ने सरकार बनाईं। इस तरह पिछले चार चुनाव में एक ही दल लगातार दूसरी बार सरकार नहीं बना पाया। इस बार भाजपा ने अबकी बार 60 पार का नारा दिया है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक कहते हैं कि पिछले पांच साल में भाजपा ने विकास की जो गाथ लिखी है, वह शानदार है। पार्टी को पूरा भरोसा है कि वह उत्तराखंड को अगले पांच साल में देश का अग्रणीय राज्य बनाने के लिए भाजपा का समर्थन करेगी।

अंतरिम सरकार के सीएम रहते कोश्यारी चुनाव जीते थे
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री रहते हुए भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा चुनाव जीता था। लेकिन वह अंतरिम सरकार के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने अंतरिम सरकार के सीएम रहते हुए कपकोट विधानसभा सीट से चुनाव जीता था।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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