चाय के एक कप से जुड़ी अनोखी कहानी: मौनी महाराज की जिंदगी का राज!
प्रयागराज, 1 जनवरी 2025, बुधवार। प्रयागराज में कुंभ मेला क्षेत्र में एक अनोखे बाबा की कहानी सुनने को मिलती है। ये बाबा न केवल मौन व्रत धारण किए हुए हैं, बल्कि उन्होंने पूरे जीवन के लिए मौन व्रत उठा लिया है। इन मौनी महाराज को कुछ लोग चाय वाले बाबा भी कहते हैं। इन मौनी महाराज का असली नाम दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी है, जो प्रतापगढ़ के चिलबिला में शिवशक्ति बजरंग धाम से आये हैं। मौनी महाराज ने मौन व्रत धारण करने के साथ अन्न जल भी त्याग दिया था, तब से वो न कुछ पीते हैं न खाते हैं। वो केवल चाय पर ज़िंदा हैं, जो उनके दिन भर की 10 चाय पर चलता है।
चाय और बाइक के शौकीन मौनी महाराज
मौनी महाराज चाय के शौकीन हैं और वो उनके पास आने वालों भक्तों को प्रसाद में भी चाय ही पिलाते हैं। चाय के अलावा मौनी महाराज को तेज रफ्तार बाइक चलाने का शौक है। हाई वे पर उनकी बाइक की रफ्तार 100 से कम नहीं होती है। यही वजह है कि 45 मिनट में प्रतापगढ़ से प्रयागराज यह अपनी बाइक से ही कुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचे हैं। मौनी महाराज की यह अनोखी कहानी कुंभ मेला क्षेत्र में आकर्षण का केंद्र बन गई है। लोग उनके दर्शन करने और उनकी कहानी सुनने के लिए आते हैं। मौनी महाराज की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है, बस हमें अपने लक्ष्यों के प्रति दृढ़ रहना होता है।
मौनी महाराज: एक अनोखी कहानी जो आपको प्रेरित करेगी
मौनी महाराज एक ऐसे व्यक्ति हैं जो अपने जीवन को एक अनोखे तरीके से जीते हैं। वे एक शिक्षकों के परिवार से हैं और बायोलॉजी में बीएससी किया है। उनके पिता प्राचार्य थे और उनकी मृत्यु के बाद उन्हें शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति भी मिली थी। लेकिन मौनी महाराज के हृदय में ईश्वर भक्ति की अलख जल चुकी थी और उन्होंने सन्यास ले लिया। मौनी महाराज के लिए धर्म और आध्यात्म सेवा के लिए है। वे सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को फ्री कोचिंग भी देते हैं। यह एक अनोखी बात है क्योंकि मौनी महाराज मौन रहते हैं और फिर भी वे छात्रों को पढ़ाते हैं। वे व्हाट्स एप के जरिये छात्र-छात्राओं को पढ़ाते हैं और उनके लिए नोट्स भी बनाते हैं।
मौनी महाराज: एक अनोखी शिक्षा पद्धति और जीवन के रहस्यों का खुलासा
मौनी महाराज बताते हैं कि हर साल उनके 2 से 3 स्टूडेंट्स सिविल सेवाओं में चयनित हो जाते हैं। यह एक बड़ी उपलब्धि है और यह दर्शाता है कि मौनी महाराज की शिक्षा पद्धति कितनी प्रभावी है। मौनी महाराज ने एक ग्रंथ भी लिखा है जिसका नाम ‘धर्म कर्म मर्म सागर’ है। यह ग्रंथ जन्म से मृत्यु तक, सोने से जागने तक प्रत्येक कार्य के शास्त्र सम्मत नियमों के बारे में बताता है। यह ग्रंथ फरवरी तक प्रकाशित हो जाएगा। जब आप मौनी महाराज से मिलेंगे तो आपको लगेगा कि केवल चाय पर जीवित रहने वाले मौनी बाबा के अंदर इतनी ऊर्जा कैसे है। बिना बोले भी उनके हाव भाव सब कह जाते हैं। यह एक अनोखा अनुभव होगा जो आपको प्रेरित करेगा और आपको जीवन के बारे में एक नई दृष्टिकोण देगा।