वाराणसी, 30 मार्च 2025, रविवार। चैत्र के पावन नवरात्रि के अवसर पर वाराणसी के पवित्र गंगा तट पर स्थित गायघाट एक बार फिर भक्ति के रंग में सराबोर हो उठा। यहाँ विराजमान माता मुखनिर्मलिका गौरी के दर्शन और पूजन के लिए भोर से ही भक्तों का तांता लगा रहा। “जय जय कार” के गूंजते स्वरों के बीच श्रद्धालु हाथों में नारियल, चुनरी और मिष्ठान लिए माता के चरणों में पहुँचे। माता को भेंट चढ़ाने के बाद भक्तों ने शीश नवाया और अपने परिवार के सुख, समृद्धि व शांति की कामना की।
मंदिर के पुजारी उमाशंकर ने बताया कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। चैत्र नवरात्रि में माता मुखनिर्मलिका गौरी के रूप में पूजी जाती हैं। उन्होंने कहा, “माता के दर्शन और पूजन से परिवार में सुख-शांति का वास होता है। लोग निरोग रहते हैं। माता बड़ी दयालु हैं और सभी की रक्षा करती हैं।”
सुबह की पहली किरण के साथ ही मंदिर परिसर भक्तों की भीड़ से गुलजार हो उठा। हर कोई माता के आशीर्वाद को पाने के लिए आतुर दिखा। कोई मंत्रोच्चार के साथ पूजा कर रहा था, तो कोई माता के सामने हाथ जोड़कर अपनी मनोकामनाएँ माँग रहा था। गंगा के किनारे बसे इस मंदिर में माता की कृपा पाने की आस लिए भक्तों ने मत्था टेका और अपने जीवन को धन्य माना।
यह दृश्य न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को भी जीवंत करता है। माता मुखनिर्मलिका गौरी का यह पूजन स्थल हर साल नवरात्रि में भक्तों के लिए आध्यात्मिक शक्ति और शांति का केंद्र बन जाता है।