कोरोना के ओमिक्रॉन स्वरूप को लेकर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सतर्क करने के बाद केंद्र सरकार ने मेडिकल ऑक्सीजन मैनेजमेंट (प्रबंधन) के लिए कार्यक्रम शुरू कर दिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री भारती प्रवीन पवार ने बताया कि नेशनल ऑक्सीजन स्टीवर्डशिप प्रोग्राम की शुरुआत एम्स, नई दिल्ली से हुई है। इसके तहत देश के हर जिले में ऑक्सीजन आपूर्ति व खर्च पर नजर रखने के लिए स्टीवर्ड तैयार करने की योजना है।
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री ने कहा कि देश में कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन की खपत अधिक देखी गई थी। इसे देखते हुए ऑक्सीजन प्रबंधन के लिए कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण देने का फैसला हुआ है, जिससे ऑक्सीजन की बर्बादी को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन का सही इस्तेमाल समय की जरूरत है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट कहा है कि सभी स्वास्थ्यकर्मियों को ऑक्सीजन के इस्तेमाल और उसके प्रबंधन के बारे में जरूरी जानकारी दी जाएगी।
केंद्रीय मंत्री पवार ने कहा, ऑक्सीजन जीवनरक्षक है। सावधानी के साथ ऑक्सीजन का प्रयोग हो ये समय की जरूरत है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा है कि इस ओर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि महामारी में ऑक्सीजन की उपयोगिता बढ़ी है। समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति भी बेहद अहम है। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन प्रबंधन से जुड़े प्रशिक्षण को शुरू करना एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम के जरिये सिस्टम के तहत काम करने वाले कर्मचारियों को ऑक्सीजन प्रबंधन के को लेकर तैयार करना
ऑक्सीजन स्टीवर्ड पूरे जिले में ऑक्सीजन थैरेपी और प्रबंधन के बिंदुओं को लेकर अपने सहकर्मियों को प्रशिक्षित करेगा। इसके अलावा ऑक्सीजन की आपूर्ति, ऑडिट और आपात स्थिति में उसका उपयोग बढ़ने पर आगे की रणनीति भी तैयार करेगा।
1225 ऑक्सीजन प्लांट पीएम केयर फंड से देश के हर जिले में लगे हैं। केंद्र सरकार ने 1500 से अधिक प्रेशर स्विंग एब्जॉर्पशन (पीएसए) ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट को लगाने की अनुमति दी है। इसमें से 1463 पीएसए शुरू हो चुके हैं। इसमें से 1225 पीएसए प्लांट देश के हर जिले में पीएम केयर फंड से लगाए जा चुके हैं।
देश के बाल रोग विशेषज्ञों ने केंद्र को पत्र लिखा। इसमें लिखा है कि सरकार को जल्द बच्चों का टीकाकरण शुरू करना चाहिए। बच्चों को वैक्सीन मिलनी चाहिए क्योंकि ओमिक्रॉन संक्रमण का असर उन लोगों में कम देखने को मिल रहा है जिनका टीकाकरण पूरा हो चुका है।
दूसरी लहर के बाद पहली बार देश के दो ही जिले में संक्रमण दर 10 फीसदी से अधिक देखने को मिल रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 14 से 20 के बीच मंत्रालय ने जब राज्यों में जिलावार संक्रमण की साप्ताहिक स्थिति को लेकर समीक्षा की तो पता चला कि मिजोरम के सेरछिप और मामित में क्रमशः 13.07 और 11.56 फीसदी सैंपल रोजाना संक्रमित मिले हैं।
देश में कोरोना के ओमिक्रॉन स्वरूप की दस्तक के बीच बूस्टर डोज की मांग बढ़ने लगी है। दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल के डॉ. एसके सरीन ने कहा है कि मेरे अनुसार बूस्टर डोज की अब सख्त जरूरत है। डॉ. सरीन बताते हैं कि अगर किसी को टीके की दो खुराक लग चुकी है। ऐसे में सुरक्षा कवच समय के साथ कमजोर पड़ सकता है, अगर टीकाकरण की समय-सीमा छह माह से अधिक हो गई है।
महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट से कहा कि अगर टीका नहीं लगवाए लोगों को सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने दिया तो दूसरे लोगों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा। इससे कोविड-19 संक्रमण का विस्फोट हो सकता है। कोरोना का नया वेरिएंट भी नए खतरे पैदा कर रहा है, राज्य का अभिभावक होने के नाते, सरकार इस खतरे को बढ़ने नहीं दे सकती।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने एक आदेश दिया था, जिसमें बिना टीका लगाए राज्य में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग लोगों को न करने देने की बात कही गई थी। इसके खिलाफ दो याचिकाएं दायर कर कहा गया कि मुंबई की लोकल ट्रेनों में लोगों को यात्रा करने से रोकना मूल अधिकार का हनन है। जवाब में सरकार ने कहा कि यह आदेश केवल मुंबई लोकल ट्रेनों ही नहीं, बल्कि राज्य में सभी सार्वजनिक परिवहन साधनों के उपयोग के लिए है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा है कि बूस्टर डोज की जरूरत और समय वैज्ञानिकों के फैसले पर निर्भर होगा। डॉ. पॉल ने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्यमंत्री मनसुख मांडविया पहले ही संसद में कह चुके हैं कि बूस्टर डोज पर फैसला वैज्ञानिकों की सहमति से होगा, और सरकार इस ओर पूरा ध्यान दे रही है। डॉ. पॉल ने कहा कि कोरोना के नए स्वरूप की गंभीरता को पहचानने के लिए टीमें अपना काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना हमेशा हल्के लक्षणों के साथ आता है। हम वायरस की चाल पर नजर बनाए हुए हैं। सरकार ने ऑक्सीजन उत्पादन की पर्याप्त व्यवस्था कर ली है।