नई दिल्ली, 3 जुलाई 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपनी शताब्दी वर्ष की तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए आगामी 4, 5 और 6 जुलाई 2025 को दिल्ली के ‘केशवकुंज’ कार्यालय में अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक आयोजित करने जा रहा है। यह बैठक विक्रम संवत् 2082, आषाढ़ शुक्ल नवमी, दशमी और एकादशी को होगी। बैठक में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, सी.आर. मुकुंद, अरुण कुमार, रामदत्त, आलोक कुमार, अतुल लिमये सहित सभी अखिल भारतीय कार्य विभाग प्रमुख, सह-प्रमुख और कार्यकारिणी सदस्य भाग लेंगे।
बैठक से पहले प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने बताया कि यह बैठक शताब्दी वर्ष (2025-26) पर केंद्रित होगी। बैठक का एजेंडा हाल के प्रशिक्षण वर्गों की समीक्षा, शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों की कार्यान्वयन योजना और सरसंघचालक व सरकार्यवाह के आगामी कार्यक्रमों पर चर्चा करना है। इसके अलावा, भविष्य की रणनीतियों को अंतिम रूप देना भी इस बैठक का प्रमुख उद्देश्य है।
युवाओं पर विशेष जोर, बढ़ रहा है रुझान
शताब्दी वर्ष में युवाओं को जोड़ने के लिए विशेष आउटरीच कार्यक्रम चलाए जाएंगे। दिल्ली, बैंगलोर, मुंबई और कोलकाता में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के साथ सार्वजनिक संवाद कार्यक्रम आयोजित होंगे। सुनील आंबेकर ने बताया कि मार्च 2025 से अब तक 28,571 से अधिक लोगों ने ‘जॉइन आरएसएस’ पहल के तहत संघ से जुड़ने के लिए अपने नाम दर्ज कराए हैं। युवाओं में संघ के प्रति बढ़ते रुझान को देखते हुए शताब्दी वर्ष में विशेष युवा-केंद्रित कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम
शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम 2 अक्टूबर 2025 (विजयादशमी) से शुरू होकर 2026 की विजयादशमी तक चलेंगे। इस दौरान खंड, बस्ती और मंडल स्तर पर हिंदू सम्मेलन आयोजित होंगे। गृह संपर्क, सामाजिक सद्भाव बैठकों, प्रमुख नागरिक गोष्ठियों और युवा कार्यक्रमों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए खंड और नगर स्तर पर समाज के प्रतिष्ठित लोगों के साथ कार्यक्रम होंगे, जिनमें सामाजिक कुरीतियों पर चर्चा होगी। इसके अलावा, सम्मानित नागरिक संगोष्ठी भी विजयादशमी से शुरू होगी।
पांच परिवर्तन पर जोर
सुनील आंबेकर ने बताया कि शताब्दी वर्ष में पांच प्रमुख परिवर्तनों पर काम किया जाएगा, जिनमें पर्यावरण संरक्षण और परिवार प्रबोधन जैसे विषय शामिल हैं। गृह संपर्क अभियान के तहत स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों से जुड़ेंगे और सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देंगे।
यह बैठक भविष्य की रणनीतियों को मजबूत करने और समाज में संघ के प्रभाव को और गहरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।