नई दिल्ली, 5 अगस्त 2025: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में समाज के सभी वर्गों की प्रमुख हस्तियों के साथ संवाद का एक ऐतिहासिक आयोजन करने जा रहा है। 26, 27 और 28 अगस्त को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित होने वाली तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत प्रमुख रूप से उपस्थित रहेंगे। इस आयोजन का विषय ‘100 वर्ष की संघ यात्रा—नए क्षितिज’ होगा, जिसमें संघ के विचार, कार्य और भविष्य की भूमिका पर व्यापक चर्चा होगी।
संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने नई दिल्ली के केशव कुंज में मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि यह व्याख्यानमाला समाज के सभी क्षेत्रों, वर्गों और विचारधाराओं को एक मंच पर लाने का प्रयास है। इसके लिए 17 मुख्य और 138 सह-श्रेणियों में सामाजिक, आर्थिक, आध्यात्मिक, खेल, शिक्षा, उद्यमिता, और विदेशी राजदूतों सहित विभिन्न क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों को आमंत्रित किया गया है। इनमें विपक्षी नेता, स्टार्टअप संस्थापक, युवा प्रभावशाली व्यक्ति, रक्षा विशेषज्ञ और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
संघ की 100 वर्षों की यात्रा और भविष्य की दृष्टि पर चर्चा
श्री आंबेकर ने बताया कि इस आयोजन में संघ की 100 वर्षों की यात्रा, इसके अनुभवों और समाज में योगदान पर चर्चा होगी। साथ ही, भविष्य में संघ और स्वयंसेवकों की भूमिका, पंच परिवर्तन की सोच, और समाज की सहभागिता पर विचार-विमर्श होगा। उन्होंने कहा, “देश की बढ़ती आकांक्षाओं और वैश्विक भूमिका को ध्यान में रखते हुए, यह आयोजन भारतीय समाज की असीमित क्षमताओं को उभारने और औपनिवेशिक मापदंडों से मुक्ति की दिशा में विचार प्रस्तुत करेगा।” तीसरे दिन, प्रतिभागियों के लिखित प्रश्नों और जिज्ञासाओं का समाधान भी किया जाएगा।
देश भर में 1000 से अधिक गोष्ठियां
श्री आंबेकर ने जानकारी दी कि शताब्दी वर्ष के तहत देश भर में जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक 1000 से अधिक गोष्ठियों का आयोजन होगा, जिसमें संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी और सरकार्यवाह शामिल होंगे। उन्होंने कहा, “1925 में शुरू हुई संघ की राष्ट्रसेवा की यात्रा ने समाज के सभी वर्गों तक पहुंचने का प्रयास किया है। संघ का विचार भारत की स्थापित परंपराओं पर आधारित है और इसका लक्ष्य सबको साथ लेकर देश को आगे बढ़ाना है।”
स्वावलंबी भारत के लिए प्रयास
आंबेकर ने जोर देकर कहा कि स्वावलंबी भारत जैसे अभियानों के तहत स्वयंसेवक विभिन्न क्षेत्रों में सहयोगी भूमिका निभा रहे हैं। यह आयोजन न केवल संघ के विचारों को समाज तक पहुंचाने का अवसर है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अपने स्व तत्व और पराक्रम के बल पर नए क्षितिज की ओर अग्रसर हो सकता है।
यह व्याख्यानमाला नई दिल्ली के साथ-साथ बेंगलुरु, कोलकाता और मुंबई में भी आयोजित होगी, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में व्यापक संवाद स्थापित हो सके।