N/A
Total Visitor
30.2 C
Delhi
Saturday, August 2, 2025

नागपंचमी का उत्सव: वाराणसी के नागकूप में उमड़ा आस्था का सैलाब

वाराणसी, 29 जुलाई 2025: काशी की पावन धरती पर नागपंचमी का पर्व मंगलवार को पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। जैतपुरा नवापुरा स्थित प्राचीन नागकूप पर सुबह से ही भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं ने नागकूप का दर्शन-पूजन कर परिसर में विराजमान नागेश्वर महादेव के दरबार में हाजिरी लगाई और शिवलिंग का जलाभिषेक कर सुख-शांति की कामना की।

आस्था और परंपरा का संगम

अलसुबह से ही मंदिर में भक्तों की कतारें लग गईं। भोर में गर्भगृह में नागेश्वर महादेव की विधिवत आराधना और मंगला आरती के बाद मंदिर के पट आम भक्तों के लिए खोल दिए गए। भक्तों ने बेलपत्र, धतूरा, फूल, हल्दी-चावल और दूध अर्पित कर सर्प देवता और नागेश्वर महादेव की विधि-विधान से पूजा की। बिल्वार्चन और दुग्धाभिषेक के साथ मंदिर परिसर भक्ति के रंग में डूब गया।

नागकूप: पौराणिक मान्यता और इतिहास

नागकूप का महत्व पौराणिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अनूठा है। मान्यता है कि इस कूप के नीचे बना कुआं नागलोक का द्वार है। शेषावतार महर्षि पतंजलि ने यहीं सैकड़ों वर्षों तक तपस्या की थी। काशी का यह प्राचीन नागकूप 3,000 साल से भी अधिक पुराना माना जाता है। कूप के अंदर सात कुएं हैं, जिनके नीचे सीढ़ियां नागलोक की ओर जाती हैं। इस कूप में स्थापित शिवलिंग की विशेष पूजा नागपंचमी के दिन की जाती है। इस दिन कूप और कुएं का सारा पानी निकालकर शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है, और आश्चर्यजनक रूप से थोड़ी ही देर में कुआं फिर से पानी से भर जाता है।

कालसर्प दोष निवारण का केंद्र

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता राजेश पांडेय बताते हैं कि कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पूरे देश में केवल तीन स्थान हैं, जिनमें काशी का नागकूप सर्वप्रमुख है। सर्प दंश के भय से मुक्ति पाने के लिए भक्त इस कूप में स्नान करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। नागपंचमी के दिन यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो इस स्थान की महत्ता को और बढ़ा देती है।

शास्त्रार्थ की गौरवशाली परंपरा

नागपंचमी की शाम को नागकूप पर संस्कृत विद्वानों का जमावड़ा हुआ। नागकूप शास्त्रार्थ समिति द्वारा आयोजित शास्त्रार्थ सभा में विद्वानों ने परंपरानुसार गहन विचार-विमर्श किया। यह परंपरा भी इस स्थान को खास बनाती है, क्योंकि यहीं शेषावतार महर्षि पतंजलि ने अपने गुरु महर्षि पाणिनी के अष्टाध्यायी पर महाभाष्य और योगसूत्र की रचना की थी।

नागकूप: आस्था का जीवंत प्रतीक

नागकूप न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह काशी की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का जीवंत प्रतीक भी है। नागपंचमी के दिन यहां की भक्ति, परंपरा और विद्वता का संगम देखते ही बनता है। यह पर्व हर साल भक्तों को एकजुट करता है और काशी की इस प्राचीन धरोहर को नई पीढ़ी तक पहुंचाता है।

वाराणसी में नागपंचमी पर अखाड़ों में दिखा जोश, पहलवानों ने दिखाया दम

नागपंचमी के पावन पर्व पर काशी के अखाड़ों में परंपरानुसार मल्लयुद्ध, दंगल और कुश्ती का शानदार प्रदर्शन हुआ। सुबह से ही नगर के प्रमुख अखाड़ों में युवा और अनुभवी पहलवानों ने मिट्टी की पूजा-अर्चना के बाद अपनी शारीरिक ताकत और कौशल का प्रदर्शन किया।

रामसिंह, गयासेठ, पंडाजी, मानमंदिर, बबुआ पांडेय, बड़ा गणेश, जग्गू सेठ, रामकुंड, लालकुटी व्यायामशाला, कालीबाड़ी, गैबीनाथ और तकिया सहित शहर के सभी छोटे-बड़े अखाड़ों में उत्साह का माहौल रहा। युवा पहलवान दंड-बैठक, दमकसी और भुजाओं को गर्माने में जुटे रहे, जबकि दंगल में जोर-शोर से कुश्ती के दांव-पेच देखने को मिले।

नागपंचमी के इस अवसर पर अखाड़ों में परंपरागत जोश और उमंग ने वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर को और जीवंत कर दिया। स्थानीय लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और पहलवानों का उत्साहवर्धन किया।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »