नई दिल्ली, 30 मार्च 2025, रविवार। देशभर में स्वास्थ्य को लेकर एक चिंताजनक खबर ने लोगों को सतर्क कर दिया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) और स्टेट ड्रग अथॉरिटी ने शनिवार को एक ड्रग अलर्ट जारी किया, जिसमें 103 दवाओं के सैंपल गुणवत्ता के मानकों पर खरे नहीं उतरे। ये दवाएं सर्दी, खांसी, जुकाम, एलर्जी, दर्द निवारण, विटामिन की कमी से लेकर हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होती हैं। इस खुलासे ने न केवल दवा उद्योग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि आम लोगों के बीच अपनी सेहत को लेकर चिंता भी बढ़ा दी है।
हिमाचल बना फेल दवाओं का केंद्र
इस अलर्ट में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि फेल हुई 103 दवाओं में से सर्वाधिक 38 का उत्पादन हिमाचल प्रदेश के उद्योगों में हुआ है। हिमाचल, जो देश का एक प्रमुख दवा उत्पादन केंद्र माना जाता है, इस बार गुणवत्ता के मामले में पीछे छूट गया। इसके अलावा उत्तराखंड में 11, गुजरात और पंजाब में 9-9, और बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, असम व तमिलनाडु जैसे राज्यों में बनी दवाएं भी इस सूची में शामिल हैं। यह आंकड़ा बताता है कि देश के कई हिस्सों में दवा उत्पादन की गुणवत्ता पर सख्त निगरानी की जरूरत है।
कौन-कौन सी दवाएं हैं खतरे में?
सीडीएससीओ की रिपोर्ट के मुताबिक, फेल हुए सैंपलों में रोजमर्रा की जरूरत वाली दवाएं शामिल हैं। सर्दी-जुकाम और एलर्जी से राहत देने वाली दवाओं से लेकर दर्द निवारक और विटामिन की गोलियां तक इस सूची का हिस्सा हैं। इतना ही नहीं, हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाएं भी गुणवत्ता की कसौटी पर खरी नहीं उतरीं। ये दवाएं मरीजों के लिए कितनी खतरनाक हो सकती हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनका असर न होने से इलाज प्रभावित हो सकता है।
क्यों फेल हुईं ये दवाएं?
दवाओं के सैंपल फेल होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं—उत्पादन में लापरवाही, कच्चे माल की गुणवत्ता में कमी, या फिर मानकों का पालन न करना। सीडीएससीओ हर महीने देशभर से दवाओं के नमूने इकट्ठा कर उनकी जांच करता है, ताकि बाजार में केवल सुरक्षित और प्रभावी दवाएं ही पहुंचें। इस बार का अलर्ट इस बात का संकेत है कि कुछ दवा निर्माता गुणवत्ता को लेकर गंभीर नहीं हैं। खासकर हिमाचल जैसे राज्य, जहां बड़े पैमाने पर दवा उत्पादन होता है, वहां यह लापरवाही चिंता का विषय बन गई है।
सरकार और जनता के लिए चुनौती
इस ड्रग अलर्ट के बाद अब सवाल यह उठता है कि इन दवाओं को बाजार से हटाने और दोषी कंपनियों पर कार्रवाई कितनी तेजी से होगी। हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ने पहले ही इस मामले में सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन पूरे देश में फैली इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति की जरूरत है। दूसरी ओर, आम लोगों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपनी दवाओं की गुणवत्ता पर नजर रखें और संदेह होने पर डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लें।
क्या करें उपभोक्ता?
दवा खरीदते वक्त सतर्क रहें: पैकेजिंग, बैच नंबर और मैन्युफैक्चरिंग डिटेल्स की जांच करें।
डॉक्टर से परामर्श लें: अगर आपको लगता है कि आपकी दवा असर नहीं कर रही, तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
अलर्ट पर नजर रखें: सीडीएससीओ की वेबसाइट पर समय-समय पर जारी होने वाले ड्रग अलर्ट्स की जानकारी रखें।
एक सबक और एक संदेश
यह घटना दवा उद्योग के लिए एक चेतावनी है कि गुणवत्ता से समझौता मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ है। साथ ही, यह सरकार के लिए एक मौका है कि दवा उत्पादन और वितरण की निगरानी को और सख्त किया जाए। हिमाचल में 38 और देशभर में 103 दवाओं के सैंपल फेल होना कोई छोटी बात नहीं है। यह हमें बताता है कि स्वास्थ्य के नाम पर लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए।
तो अगली बार जब आप दवा खरीदें, तो एक बार सोचें—क्या यह आपकी सेहत को ठीक करेगी, या खतरे में डालेगी? सावधान रहें, सुरक्षित रहें!