वाराणसी, 1 मई 2025, गुरुवार। वाराणसी के पवित्र दशाश्वमेध घाट पर एक मुस्लिम नाबालिग की पिटाई का मामला अब नया मोड़ ले चुका है। यह घटना, जो शुरू में सामान्य विवाद का मामला लग रहा था, अब गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। पुलिस के साथ-साथ एटीएस, आईबी और एलआईयू की एंट्री ने इस मामले को और रहस्यमयी बना दिया है। क्या यह सिर्फ एक पिटाई का मामला है, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश छिपी है?
घटना का विवरण: नाबालिग की आपबीती
चौरहट पुरानी बस्ती के एक नाबालिग युवक ने बताया कि वह सोमवार शाम को घूमने के लिए दशाश्वमेध घाट गया था। गंगा आरती के बाद वह घाट की सीढ़ियों पर बैठा था, तभी 8-10 युवकों ने उसे घेर लिया। उसका कहना है, “उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं घाट पर क्यों आया? जवाब देने से पहले ही उन्होंने मुझे पीटना शुरू कर दिया।” लात-घूंसे, लाठी और रॉड से हमला किया गया। युवक को गंगा सेवा निधि के कार्यालय में बंद कर और पीटा गया, फिर उसे सीढ़ियों पर फेंक दिया गया। गंभीर चोटों के साथ वह किसी तरह घर पहुंचा और परिजनों को आपबीती सुनाई।
पुलिस और जांच एजेंसियों की सक्रियता
युवक को मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा में भर्ती कराया गया, जहां उसके शरीर पर गहरे जख्म और लाठी-रॉड के निशान देखे गए। डिस्चार्ज होते ही पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया और दशाश्वमेध थाने लाया। यहां तीन घंटे तक पुलिस, आईबी, एटीएस और एलआईयू की टीमें उससे पूछताछ करती रहीं। सवाल उसकी पिटाई से ज्यादा उसके घाट पर मौजूदगी और मूवमेंट पर केंद्रित थे। आईबी ने उसका 48 घंटे का टाइमचार्ट तैयार किया और मोबाइल लोकेशन के जरिए उसके बयान की पुष्टि की। उसे घटनास्थल पर ले जाकर भी जांच की गई।
हैरानी की बात यह है कि पूछताछ के बाद दशाश्वमेध पुलिस ने पीड़ित को ही गिरफ्तार कर लिया। बुधवार देर रात उसे पुलिस लाइंस की ACP कोर्ट में पेश किया गया। अधिवक्ता मोहम्मद अबु के मुताबिक, पुलिस ने पहले गुरुवार सुबह पेश करने की बात कही, लेकिन पिता की गुहार पर रात में ही सुनवाई हुई। दो जमानतदारों के शपथपत्र के बाद युवक को जमानत मिली।
आरोपियों की गिरफ्तारी में पुलिस नाकाम
पिटाई के आरोपियों—शिवम गुप्ता, सुशांत मिश्रा, हनुमान यादव और 6-7 अज्ञात लोगों—के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। ये सभी गंगा सेवा निधि से जुड़े हैं, जो दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती का आयोजन करती है। लेकिन पुलिस अब तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर पाई। जांच के लिए घाट पर गई पुलिस को वहां कोई आरोपी नहीं मिला, और सभी फरार बताए जा रहे हैं।
सामाजिक और धार्मिक तनाव की आशंका
वाराणसी के शहर मुफ्ती मौलाना बातिन ने इस घटना को धार्मिक नफरत फैलाने की साजिश करार दिया। उन्होंने कहा, “युवक को इतनी बेरहमी से पीटा गया कि उसके कपड़े फट गए और शरीर लहूलुहान हो गया। दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।” इस घटना ने स्थानीय समुदाय में तनाव पैदा कर दिया है। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने लापरवाही के आरोप में दशाश्वमेध थाना प्रभारी योगेंद्र प्रसाद को लाइन हाजिर कर दिया और विजय शुक्ला को नया प्रभारी बनाया।
सवाल जो बाकी हैं
- आखिर क्यों पीड़ित से ज्यादा उसकी मौजूदगी पर सवाल उठाए जा रहे हैं?
- गंगा सेवा निधि से जुड़े आरोपियों की गिरफ्तारी में देरी क्यों हो रही है?
- क्या यह घटना सिर्फ एक विवाद है, या इसके पीछे कोई सुनियोजित साजिश है?
यह मामला न केवल वाराणसी की शांति को चुनौती दे रहा है, बल्कि पुलिस और जांच एजेंसियों की निष्पक्षता पर भी सवाल उठा रहा है। आने वाले दिनों में इस मामले की गुत्थी कैसे सुलझती है, यह देखना बाकी है।