पटना, 19 अप्रैल 2025, शनिवार। बिहार, एक ऐसा राज्य जहां शराबबंदी का सख्त कानून 2016 से लागू है, फिर भी शराब तस्करों के हौसले और हथकंडे कम होने का नाम नहीं लेते। कभी तेल के टैंकर में शराब की बोतलें छिपाई जाती हैं, तो कभी लग्जरी गाड़ियों के गुप्त डिब्बों से शराब बरामद होती है। लेकिन इस बार कटिहार में जो हुआ, उसने तो पुलिस और आम जनता को भी हैरत में डाल दिया। एक महिला ने बुर्के की आड़ में शराब तस्करी का ऐसा नायाब तरीका अपनाया कि हर कोई दंग रह गया।
बुर्के में छिपा शराब का राज
कटिहार जिले के मनिया रेलवे स्टेशन पर उत्पाद विभाग की टीम को गुप्त सूचना मिली कि पश्चिम बंगाल के कुमेदपुर से एक महिला ट्रेन में शराब की तस्करी कर रही है। सूचना के आधार पर टीम ने जाल बिछाया और एक महिला को संदिग्ध हालत में पकड़ा। इस महिला ने बुर्का पहन रखा था और बाहर से देखने में बिल्कुल सामान्य यात्री लग रही थी। लेकिन जब महिला कॉन्स्टेबल ने तलाशी ली, तो सच सामने आया। बुर्के के नीचे, साड़ी के ऊपर, महिला के शरीर पर सेलोटेप से चिपकाए गए थे दर्जनों टेट्रा पैक, जिनमें 9 लीटर अंग्रेजी शराब भरी थी।
पूछताछ में महिला ने अपना नाम संध्या देवी बताया, जो कटिहार के माझेली गांव की रहने वाली है। हैरानी की बात यह थी कि संध्या ने कबूल किया कि वह पहले भी शराब तस्करी में शामिल रही है। इस बार उसने बुर्के का सहारा लिया ताकि कोई शक न करे। लेकिन उत्पाद विभाग की मुस्तैदी ने उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
तस्करी के नए-नए तरीके
बिहार में शराबबंदी के बाद से तस्करों ने एक से बढ़कर एक तरकीबें अपनाई हैं। कभी दूध के कंटेनर में शराब भरकर लाई जाती है, तो कभी सब्जियों की टोकरी के नीचे बोतलें छिपाई जाती हैं। लेकिन बुर्के का इस्तेमाल? यह तो वाकई तस्करी का एक अनोखा और चौंकाने वाला तरीका है। संध्या देवी ने न सिर्फ अपने शरीर पर शराब के पैक चिपकाए, बल्कि ऊपर से बुर्का पहनकर यह सुनिश्चित किया कि कोई उसे संदेह की नजर से न देखे। यह घटना न केवल तस्करों की चालाकी को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि शराबबंदी को लागू करना कितना चुनौतीपूर्ण है।
शराबबंदी: कानून और हकीकत
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने शराबबंदी को एक मास्टर स्ट्रोक के तौर पर लागू किया था। खासकर महिलाओं ने इस फैसले का जमकर समर्थन किया, क्योंकि शराब के कारण होने वाली घरेलू हिंसा और सामाजिक समस्याओं में कमी की उम्मीद थी। लेकिन हकीकत में, शराब तस्करी का धंधा थमने का नाम नहीं ले रहा। कटिहार की यह घटना तो सिर्फ एक बानगी है। आए दिन शराब से होने वाली मौतों की खबरें सुर्खियां बनती हैं। सवाल यह है कि इतने सख्त कानून के बावजूद तस्कर इतने बेखौफ क्यों हैं? क्या पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी में कमी है, या फिर तस्करों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि वे हर बार कानून को चकमा दे देते हैं?
एक और मामला: दो गर्भवती महिलाओं की तस्करी
कटिहार में संध्या देवी का मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि एक और चौंकाने वाली घटना सामने आई। मनिया रेलवे स्टेशन पर ही उत्पाद विभाग ने दो अन्य महिलाओं, वीणा देवी और नंदिनी देवी को गिरफ्तार किया। ये दोनों गर्भवती होने का दिखावा करते हुए साड़ी के ऊपर बुर्का पहनकर शराब तस्करी कर रही थीं। तलाशी में उनके पास से 17 लीटर विदेशी शराब बरामद हुई। यह देखकर साफ हो गया कि तस्कर अब न केवल कपड़ों, बल्कि अपनी शारीरिक स्थिति का भी फायदा उठाने से नहीं चूक रहे।
चुनौती और समाधान
कटिहार की इन घटनाओं ने शराबबंदी की असल तस्वीर को एक बार फिर उजागर कर दिया है। उत्पाद विभाग और पुलिस भले ही लगातार छापेमारी कर रहे हों, लेकिन तस्करों की चालाकी और नए-नए तरीके प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ सख्ती से काम नहीं चलेगा। इसके लिए जमीनी स्तर पर जागरूकता, तस्करी के नेटवर्क को तोड़ने के लिए खुफिया तंत्र को मजबूत करना और सीमावर्ती इलाकों, खासकर पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से होने वाली तस्करी पर कड़ी नजर रखना जरूरी है।
बुर्के में छिपाई शराब, बिहार में बेबस कानून?
कटिहार में बुर्के की आड़ में शराब तस्करी का यह मामला न सिर्फ चौंकाने वाला है, बल्कि यह बिहार में शराबबंदी की जमीनी हकीकत को भी उजागर करता है। संध्या देवी, वीणा देवी और नंदिनी देवी जैसे मामले यह सवाल उठाते हैं कि आखिर कब तक तस्कर कानून को ठेंगा दिखाते रहेंगे? शराबबंदी को सफल बनाने के लिए सिर्फ कानून की सख्ती काफी नहीं, बल्कि समाज के हर तबके को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा। तब तक, बिहार में शराब तस्करों के ये “निराले ढंग” सुर्खियां बटोरते रहेंगे।