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Sunday, July 6, 2025

दुनिया की सबसे ऊंची सड़क बनाने पर बीआरओ को मिला गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का प्रमाण पत्र

पूर्वी लद्दाख के 19,024 फीट ऊंचे उमलिंगला दर्रे पर दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य रणनीतिक सड़क बनाने के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। सीमा सड़क (डीजीबीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने वर्चुअल समारोह में यूनाइटेड किंगडम स्थित गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक निर्णायक ऋषिनाथ से प्रमाण पत्र हासिल किया।

 

बोलीविया में बनाई गई सबसे ऊंची सड़क का रिकॉर्ड तोड़ा

 

सीमा सड़क संगठन ने पूर्वी लद्दाख में उमलिंगला दर्रे के पास दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क का निर्माण किया है। बीआरओ ने 19 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर उमलिंगला दर्रे से होकर गुजरने वाली यह सड़क तारकोल से बनाई है। यह सड़क पूर्वी लद्दाख के चुमार सेक्टर के महत्वपूर्ण शहरों को जोड़ती है। इस सड़क के बनने से पूर्वी लद्दाख में सामाजिक और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और साथ ही लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। बीआरओ ने इस सड़क का निर्माण करके दक्षिणी अमेरिका के बोलीविया में बनाई गई सबसे ऊंची सड़क का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बोलीविया ने अपने देश में ज्वालामुखी उतूरुंकू को जोड़ने के लिए 18 हजार 935 फीट की ऊंचाई पर सड़क का निर्माण किया है।

 

सियाचिन ग्लेशियर से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित है सड़क

 

दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क निर्माण और ब्लैक टॉपिंग के लिए सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की चार महीने की लंबी प्रक्रिया में पांच अलग-अलग सर्वेक्षकों ने बीआरओ के दावे की पुष्टि की। इस उपलब्धि के लिए एक आभासी समारोह में यूनाइटेड किंगडम स्थित गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के आधिकारिक निर्णायक ऋषिनाथ ने आज गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स प्रमाणपत्र सीमा सड़क (डीजीबीआर) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी को सौंपा। जिस ऊंचाई पर इस सड़क का निर्माण किया गया है वह सियाचिन ग्लेशियर से काफी ऊंचा है। सियाचिन ग्लेशियर की ऊंचाई 17,700 फीट है।

 

बहुत चुनौतीपूर्ण और कठिन रहा निर्माण कार्य

 

पूर्वी लद्दाख में उमलिंगला दर्रे पर बनाई गई सड़क भारत की उपलब्धि में एक और मील का पत्थर है। इस सड़क का निर्माण माउंट एवरेस्ट के आधार शिविरों से भी ऊंचे स्थान पर किया गया है। माउंट एवरेस्ट का नेपाल स्थित साउथ बेस कैंप 17,598 फीट की ऊंचाई पर जबकि तिब्बत स्थित नॉर्थ बेस कैंप 16,900 फीट की ऊंचाई पर है। इस अवसर पर डीजीबीआर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने उमलिंगला दर्रे के लिए सड़क निर्माण के दौरान आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की।

 

उन्होंने कहा कि ऐसे ऊंचे स्थानों पर बुनियादी ढांचे का निर्माण अपने आप में चुनौतीपूर्ण और बेहद कठिन होता है। सर्दियों के मौसम में यहां तापमान शून्य से 40 डिग्री नीचे चला जाता है और इस ऊंचाई पर मैदानी क्षेत्रों के मुकाबले ऑक्सीजन का स्तर 50 प्रतिशत रह जाता है।

स्थानीय आबादी के लिए वरदान है सड़क

बीआरओ ने पूर्वी लद्दाख के महत्वपूर्ण गांव डेमचोक को एक काली चोटी वाली सड़क दी है जो क्षेत्र की स्थानीय आबादी के लिए वरदान होगी क्योंकि यह लद्दाख में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों को बढ़ावा देगी और पर्यटन को बढ़ावा देगी। रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह सड़क लगभग 15 किलोमीटर लंबी है, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क के बुनियादी ढांचे के विकास में सरकार के फोकस को उजागर करती है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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