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Thursday, August 7, 2025

ब्रिटेन ने यूएन में की मांग,भारत समेत इन देशों को मिले सुरक्षा परिषद की स्थाई सीटें

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के विस्तार और भारत को स्थाई सदस्यता की लंबे से उठ रही मांग का ब्रिटेन भी समर्थन किया है। यूएन में ब्रिटेन की स्थायी प्रतिनिधि बारबरा वुडवर्ड ने भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील के लिए नई स्थाई सीटों की मांग की है।

बारबरा वुडवर्ड ने कहा कि ब्रिटेन लंबे समय से सुरक्षा परिषद के विस्तार की मांग कर रहा है। हम भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील के लिए नई स्थायी सीटों की व्यवस्था के साथ-साथ स्थायी अफ्रीका के स्थाई प्रतिनिधित्व का भी समर्थन करते हैं।

बता दें, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के वर्तमान में पांच स्थाई सदस्य हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस व ब्रिटेन शामिल हैं। वैश्विक आबादी व अर्थव्यवस्था व नई भू राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए स्थाई सदस्य देशों की संख्या बढ़ाने की मांग लंबे समय से हो रही है।

जी4 देशों की ओर से भारत ने की मांग

संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने भी गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में जी-4 की तरफ से अपना बयान दिया। इसमें उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समान प्रतिनिधित्व पर जोर दिया। कंबोज ने ट्वीट कर बताया कि “आज मैंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में समान प्रतिनिधित्व पर यूएनजीए में जी-4 की तरफ से बयान दिया। लंबे समय से सुरक्षा परिषद में सुधार रुका हुआ है, प्रतिनिधित्व में कमी अधिक है, जो सुरक्षा परिषद की वैधता और प्रभावशीलता के लिए एक अपरिहार्य पूर्व शर्त है।”

जी4 देशों में ब्राजील, जर्मनी, जापान और भारत शामिल है। जी-4 देशों की ओर से बोलते हुए कंबोज ने कहा कि यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस वर्ष के उच्च स्तरीय सप्ताह के दौरान, जिसमें 77वीं महासभा की आम बहस भी शामिल है, 70 से अधिक देश और सरकार के प्रमुखों और उच्च स्तरीय सरकारी प्रतिनिधियों ने इस बात को रेखांकित किया है कि इस सत्र के दौरान सुरक्षा परिषद में सुधार हमारी प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए। इस विषय के लिए यह व्यापक समर्थन इसकी प्रासंगिकता और तात्कालिकता की पुष्टि करता है।

40 साल बाद भी समान प्रतिनिधित्व नहीं : कंबोज

कंबोज ने कहा कि सुरक्षा परिषद में समान प्रतिनिधित्व को 40 साल पहले महासभा के एजेंडे में शामिल किया गया था। लेकिन यह खेदजनक है कि चार दशकों के बाद भी इस मुद्दे पर काम करने के लिए कुछ भी ठोस उपाय नहीं किए गए हैं। नतीजतन, सुरक्षा परिषद अभी भी वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य को प्रतिबिंबित नहीं करती है। इसके विपरीत, कई अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों ने परिवर्तन और अनुकूलन के लिए प्रयास किए। सुरक्षा परिषद को इससे बाहर करने का कोई कारण नहीं है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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