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Tuesday, July 1, 2025

इन पांच पांबदियों का पंच बनाकर ब्रिटेन ने दी कोरोना को मात, क्या भारत में ऐसा संभव नहीं?

भारत में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर तबाही मचा रही है पर ब्रिटेन की दूसरी लहर भी बहुत ज्यादा खतरनाक थी, जिससे ब्रिटेन तेजी से कामयाब होकर निकला। आज ब्रिटेन दुनिया के उन चंद बड़े देशों में से एक है, जहां तेजी से संक्रमण घटने लगा है। आइए जानते हैं कि आखिर ब्रिटेन किन तरीकों को अपनाकर सफल हुआ। क्या भारत भी अगर ब्रिटेन की राह पर चले तो क्या कोरोना को मात दिया जा सकता है?

भारत की तरह नए स्ट्रेन ने मचायी थी तबाही 
ब्रिटेन की दूसरी लहर के पीछे का कारण नया कोरोना वेरिएंट बी117 था। कोरोना वायरस के अनुवांशिक तत्वों में होने वाले परिवर्तन से यह वेरिएंट विकसित हुआ, जो 70 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक था। दिसंबर आते-आते अकेले लंदन में इस वेरिएंट से संक्रमित होने वालों की तादाद 62% हो गई। इस संस्करण वाला कोरोना वायरस भारत, अमेरिका, अफ्रीका और अमेरिका में भी फैला। जनवरी के पहले सप्ताह में यहां हर दिन 60 से 67 हजार तक हर दिन मरीज मिल रहे थे। 20 जनवरी को यहां सबसे ज्यादा 1823 मरीजों की मौत हुई। 

23 म्यूटेशन वाला कोरोना वायरस  
भारत में इस वक्त दोहरे म्यूटेशन वाले कोरोना वेरिएंट के तेजी से फैलने से दूसरी लहर शक्तिशाली बन गई है। जबकि ब्रिटेन में जिस वेरिएंट के कारण दूसरी लहर आयी थी, वह 23 म्यूटेशन वाला कोरोना वायरस था। फिलहाल, भारत में कोरोना की तबाही देखने को मिल रही है। हालांकि, इसे कंट्रोल करने के लिए कुछ पाबंदियां भी लागू हैं। 

तो चलिए जानेत हैं का आखिर कोरोना के कहर से कैसे बचा ब्रिटेन 

1. सख्त तालाबंदी : जनवरी की शुरूआत में यहां सख्त राष्ट्रीय तालाबंदी की गई। तब हर दिन 60 हजार से ज्यादा मरीज आ रहे थे और मौतों में 20% की वृद्धि हो चुकी थी। इस तालाबंदी के तीन माह बाद अब रोजाना केस घटकर 3 हजार से कम हो गए हैं। 

2.  पहली खुराक में देरी :  तेजी से टीकाकरण कराने के लिए सरकार ने वैक्सीन की दूसरी खुराक लेने की अवधि को एक माह से बढ़ाकर तीन माह कर दिया। इससे आपूर्ति संकट का हाल निकला और तेजी से पहला टीका लगने से लोगों में अस्थायी तौर पर संक्रमण से लड़ने की क्षमता विकसित हो सकी। यहां हरसौ लोगों पर 63.02 लोगों को खुराक मिली जिससे मौतों में 95% की गिरावट आयी।  

3. अस्पतालों में सख्ती : लंदन के सेंट थॉमस अस्पताल के एमडी डॉ. निशित सूद ने बताया कि अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ने की स्थिति से बचने के लिए अस्पताल प्रबंधकों ने सिर्फ अति गंभीर मरीज को भर्ती करने का नियम बनाया। किसी भी व्यक्ति को रसूख के कारण बेड या वेंटिलेटर देने जैसी बातों की सख्त मॉनिटरिंग हुई। उनका कहना है कि 99 फीसदी मरीज हल्के लक्षण वाले होते हैं, चिकित्सा संसाधन मात्र एक फीसद अति गंभीर लोगों के लिए बचाकर रखने चाहिए।  

4. बचाव नियमों का पालन : सरकार ने कोविड प्रोटोकॉल का बेहद सख्ती से पालन कराने के लिए मास्क न लगाने पर भारी जुर्माना लगा दिया गया। खुली जगहों पर भी छह से अधिक लोगों को एक साथ खड़े होने पर पाबंदी लगा दी गई जिसमें बच्चे भी शामिल किए गए। बार-रेस्टोरेंट आदि को पूरी तरह टेकअवे मोड में कर दिया गया। साथ ही, एक बार पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर दोबारा रिपोर्ट कराने वालों लोगों पर सख्त पाबंदी लगायी ताकि संसाधन बर्बाद न हों।  

5. जांचों पर ध्यान : कोरोना संक्रमण का नया संस्करण या वेरिएंट मिलने के बाद कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, कोविड-19 की जांचें और जीनोम सीक्वेंसिंग के काम में तेजी लायी गई ताकि जितना तेजी से संक्रमण फैल रहा है, उसे उतनी तेजी से नियंत्रित किया जा सके। आवर वर्ल्ड इन डाटा के मुताबिक, ब्रिटेन में हर एक हजार आबादी पर 15.96 जांचें की जा रही हैं जबकि भारत में मात्र 1.14 जांचें हो रही हैं।  अभी ब्रिटेन में पॉजिटिव दर 0.2% और भारत में 17.8% है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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