वाराणसी, 21 मई 2025, बुधवार। जल संकट की गहराती छाया के बीच जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में एक अहम समीक्षा बैठक की। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (डब्ल्यूडीसी-पीएमकेएसवाई 2.0) के तहत चल रहे जल संरक्षण प्रोजेक्ट्स की प्रगति और गुणवत्ता पर गहन मंथन हुआ। बैठक में मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल, भूमि संरक्षण अधिकारी और कई तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद रहे।
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को सख्त लहजे में निर्देश दिए: “तालाबों में बरसात का पानी दिखाओ!” उन्होंने जोर देकर कहा कि हर तालाब की वर्षा के बाद की तस्वीरें पेश की जाएं, ताकि उनकी उपयोगिता और स्थल की उपयुक्तता की जांच हो सके। कम प्रगति पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने शेष कार्यों को तुरंत पूरा करने का आदेश दिया। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी संरचना के निर्माण से पहले स्थल की उपयुक्तता का आकलन अनिवार्य है।
बैठक में मटुका नाले के जीर्णोद्धार कार्य की सराहना की गई और अन्य प्राकृतिक नालों को भी इसी तरह पुनर्जनन करने के निर्देश दिए गए। वरुणा और अस्सी नदी के सिकुड़ते क्षेत्र पर गहरी चिंता जताते हुए जिलाधिकारी ने इन्हें वर्षा जल संग्रहण के लिए उपयुक्त बनाने हेतु तकनीकी प्रस्ताव तैयार करने को कहा। अधिकारियों ने जल्द ही सर्वे और तकनीकी रिपोर्ट पेश करने का भरोसा दिलाया।
जिलाधिकारी ने गिरते भू-जल स्तर और सिमटते जलाशयों को लेकर चेतावनी दी: “यदि अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो जल संकट जैसी आपदा हमारे दरवाजे पर दस्तक दे सकती है।” उन्होंने जल आपूर्ति और मांग के संतुलन, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और भूगर्भ जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस कार्य योजना तैयार करने पर जोर दिया।
बैठक में जिला विकास अधिकारी, उप कृषि निदेशक, सहायक अभियंता लघु सिंचाई, खंड विकास अधिकारी और ऊसर सुधार योजना की पूरी तकनीकी टीम ने हिस्सा लिया। यह बैठक न केवल जल संरक्षण की दिशा में एक कदम है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक संकल्प भी है।