नई दिल्ली, 10 सितंबर 2025: भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस अब और भी घातक और आधुनिक रूप में सामने आने वाली है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने अपनी नई पीढ़ी की मिसाइल, ब्रह्मोस-एनजी (नेक्स्ट जेनरेशन), को 2026 तक टेस्टिंग के लिए तैयार करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाए हैं। यह मिसाइल न केवल भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसकी मांग बढ़ रही है, जिसमें रूस जैसे देश भी इसे अपनी सेना में शामिल करने को उत्सुक हैं।
ब्रह्मोस-एनजी की खासियतें
ब्रह्मोस-एनजी मौजूदा मिसाइल का हल्का और कॉम्पैक्ट संस्करण है, जो इसे और भी बहुमुखी बनाता है।
- हल्का वजन, घातक शक्ति: मौजूदा ब्रह्मोस का वजन 3,000 किलो है, जबकि एनजी का वजन 1,250 किलो से कम होगा। यह इसे LCA तेजस और MiG-29 जैसे हल्के लड़ाकू विमानों से भी लॉन्च करने में सक्षम बनाएगा।
- सटीक निशाना: 300 किमी की रेंज के साथ यह मिसाइल जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च की जा सकेगी। इतना ही नहीं, इसे पनडुब्बी से दागने की क्षमता भी दी जा रही है।
- नया रैमजेट इंजन: रूस की कंपनी NPO Mashinostroeyenia द्वारा विकसित नया रैमजेट इंजन इसे हल्का होने के बावजूद उतना ही तेज और मारक बनाएगा।
वैश्विक मंच पर चमक
मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की अचूक सटीकता और मारक क्षमता ने दुनिया का ध्यान खींचा। इस प्रदर्शन के बाद 14 देशों ने इस मिसाइल में रुचि दिखाई है। खास तौर पर, फिलीपींस ने इसे अपनी नौसेना में शामिल कर लिया है, ताकि चीन की बढ़ती आक्रामकता का मुकाबला किया जा सके। रूस ने भी संकेत दिए हैं कि वह अपनी सेना के लिए ब्रह्मोस को अपनाने पर विचार कर रहा है।
उत्पादन बढ़ाने की रणनीति
पिछले 25 सालों में ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने केवल 1,000 मिसाइलें बनाईं, यानी औसतन 25 मिसाइलें प्रति वर्ष। इस धीमी गति के कारण लागत अधिक रही है। अब कंपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रही है, ताकि लागत कम हो और निर्यात को बढ़ावा मिले। डिप्टी सीईओ चिलुकोटी चंद्रशेखर के अनुसार, भारत और रूस मिलकर मिसाइल की लागत को कम करने के लिए संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। इससे न केवल भारत की रक्षा तैयारियां मजबूत होंगी, बल्कि वैश्विक हथियार बाजार में भी भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी।
भविष्य की राह
ब्रह्मोस-एनजी का विचार 2011 में आया था, लेकिन इसका असल विकास 2017 से शुरू हुआ। अब यह मिसाइल टेस्टिंग के करीब है और इसके साथ ही भारत की रक्षा नीति में एक नया अध्याय जुड़ेगा। यह मिसाइल भारतीय वायुसेना को तेज, हल्का और अचूक हथियार प्रदान करेगी, जो न केवल रक्षा, बल्कि आक्रामक प्रतिरोध की क्षमता को भी बढ़ाएगी।
ब्रह्मोस-एनजी न सिर्फ भारत की रक्षा ताकत को नया आयाम देगी, बल्कि वैश्विक हथियार बाजार में भारत को एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगी। इसकी बढ़ती मांग और रूस जैसे देशों की रुचि इसकी सफलता की गवाही देती है। आने वाले सालों में ब्रह्मोस-एनजी भारत को न केवल सुरक्षित, बल्कि एक रणनीतिक ताकत के रूप में उभारेगी।