प्रयागराज, 18 जनवरी 2025, शनिवार। प्रयागराज के संगम की रेती पर चल रहे कुंभ मेले में सन्यास, ब्रह्मचारी और नागा दीक्षा का शुभारंभ हो चुका है। सबसे पहले श्री शंभु पंच अग्नि अखाड़े में मकर संक्रांति के दूसरे दिन से ही ब्रह्मचारी की दीक्षा का आरंभ किया गया है।
अग्नि अखाड़े में सैकड़ों पात्रों को ब्रह्मचारी की दीक्षा पूरे रीति-रिवाज के साथ दी गई है। आदि गुरु शंकराचार्य की परंपरा से जुड़े चतुर नाम के ब्रह्मचारी अग्नि अखाड़े में रहते हैं, जो प्रकाश, स्वरूप, चेतन और आनंद के रूप में चार शंकराचार्य का प्रतिनिधित्व करते हैं।
अग्नि अखाड़े में लाखों की संख्या में ब्रह्मचारी हैं, और जो ब्रह्मचारी की दीक्षा लेना चाहता है, वह पहले अखाड़े में आता है, सनातन धर्म की परंपराओं को समझता है, अखाड़े की परंपराओं को समझता है, और जब अखाड़े के पंच को लगता है कि वह परिपक्व है, तो उसे ब्रह्मचारी की दीक्षा दी जाती है।
दीक्षा देने से पहले, जो धर्म का पालन करता है, सनातन धर्म के लिए काम करता है, वह ब्रह्मचारी बन सकता है। अग्नि अखाड़े में दीक्षित ब्रह्मचारी डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक भी बनते हैं, जो समाज और धर्म के लिए समर्पित होते हैं।
ब्रह्मचारी दीक्षित होने के बाद, योग्य ब्रह्मचारी को अखाड़े से जुड़े पद भी दिए जाते हैं, जिनमें सभापति, महामंत्री, सचिव, श्रीमहंत, महंत, थानापति, कोतवाल, पुजारी योग्यता के अनुसार बनाए जाते हैं।