एसटीएफ और सीतापुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में एक-एक लाख के इनामी बदमाश राजू उर्फ रिजवान और संजय उर्फ अकील खान मारे गए
सीतापुर, 7 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी हत्याकांड के दो मुख्य आरोपी शूटरों को गुरुवार तड़के पुलिस और विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की संयुक्त कार्रवाई में मुठभेड़ के दौरान मार गिराया गया। मारे गए बदमाशों की पहचान मिश्रिख थाना क्षेत्र के अटवा गांव निवासी राजू तिवारी उर्फ रिजवान और संजय तिवारी उर्फ अकील खान के रूप में हुई है, जो सगे भाई थे। दोनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित था।
नेशनल हाईवे पर दिनदहाड़े हुई थी हत्या
यह सनसनीखेज वारदात 8 मार्च 2025 को लखनऊ-दिल्ली नेशनल हाईवे पर हेमपुर रेलवे ओवरब्रिज के पास घटी थी, जब 36 वर्षीय पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी, जो दैनिक जागरण के महोली तहसील संवाददाता थे, को बाइक सवार हमलावरों ने रोककर ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई थीं। हमलावरों ने पहले उनकी बाइक को टक्कर मारी और फिर गिरने पर तीन से चार राउंड फायरिंग कर हत्या को अंजाम दिया। इस घटना ने पूरे उत्तर प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था और कानून-व्यवस्था पर सवाल उठे थे।
पुलिस और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई
सीतापुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) अंकुर अग्रवाल ने बताया कि गुरुवार सुबह मुखबिर से सूचना मिली थी कि हत्याकांड के दोनों फरार शूटर सीतापुर-हरदोई सीमा के पास देखे गए हैं। इसके बाद एसटीएफ, क्राइम ब्रांच और स्थानीय पुलिस की पांच संयुक्त टीमें गठित की गईं। पिसावा थाना क्षेत्र के दुल्लापुर तिराहे के पास चेकिंग के दौरान बाइक सवार दोनों बदमाशों ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस और एसटीएफ ने गोलीबारी की, जिसमें दोनों शूटर गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तत्काल पिसावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ले जाया गया, जहां से जिला अस्पताल रेफर किया गया। वहां चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
मौके से हथियार बरामद
मुठभेड़ स्थल से पुलिस ने 32 बोर की पिस्टल, एक कार्बाइन और बाइक बरामद की है। एसपी अग्रवाल ने बताया कि दोनों बदमाशों के खिलाफ हत्या सहित कई संगीन मामले दर्ज थे। उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई समाज में अपराध के खिलाफ सख्त संदेश देती है।”
हत्याकांड की साजिश का खुलासा
पुलिस जांच में पहले ही सामने आ चुका है कि इस हत्याकांड की साजिश कारदेव बाबा मंदिर के पुजारी शिवानंद बाबा उर्फ विकास राठौर ने रची थी। राघवेंद्र ने पुजारी को मंदिर परिसर में आपत्तिजनक हालत में देख लिया था, जिसके डर से उसने दो अपराधियों, निर्मल सिंह और असलम गाजी, को चार लाख रुपये की सुपारी देकर हत्या करवाई थी। दोनों शूटरों को तीन लाख रुपये में हायर किया गया था। पुलिस ने पुजारी सहित तीन अन्य आरोपियों को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
हिंदू नामों का इस्तेमाल
जांच में यह भी पता चला कि दोनों शूटर, जिनके माता-पिता का धार्मिक पृष्ठभूमि मिश्रित थी (मां हिंदू और पिता मुस्लिम), अपराध जगत में राजू तिवारी और संजय तिवारी के नाम से जाने जाते थे। वे अपराध को अंजाम देने के बाद हिंदू नामों का उपयोग करते थे।
राजनीतिक और सामाजिक हंगामा
राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या के बाद मामले ने तूल पकड़ा था। विपक्षी दलों, विशेष रूप से समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, ने कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। पीड़ित परिवार ने दो करोड़ रुपये मुआवजे और फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की मांग की थी। इस मुठभेड़ के बाद पुलिस की कार्रवाई को अपराध के खिलाफ कठोर कदम के रूप में देखा जा रहा है।