नई दिल्ली, 11 जून 2025, बुधवार: भारत अपनी रक्षा प्रणाली को अभेद्य बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है। भारतीय वायुसेना जल्द ही अत्याधुनिक I-STAR (Intelligence, Surveillance, Targeting, and Reconnaissance) सिस्टम से लैस तीन विशेष विमानों की खरीद करने वाली है। इस मेगा प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 10,000 करोड़ रुपये है, जो भारत को अमेरिका, ब्रिटेन और इजराइल जैसे चुनिंदा देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल कर देगा, जिनके पास इस तरह के जासूसी विमान हैं।
I-STAR: भारत की नई ताकत
I-STAR प्रोजेक्ट के तहत खरीदे जाने वाले ये विमान न केवल दुश्मन की गतिविधियों पर पैनी नजर रखेंगे, बल्कि सटीक हमले करने में भी मदद करेंगे। ये विमान बोइंग और बॉम्बार्डियर जैसी वैश्विक दिग्गज कंपनियों से लिए जाएंगे। इनमें DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) के सेंटर फॉर एयरोस्पेस सिस्टम्स (CABS) द्वारा विकसित अत्याधुनिक सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगाए जाएंगे। इन सिस्टम्स की टेस्टिंग पूरी हो चुकी है, जिससे इन्हें जल्द ही विमानों में एकीकृत किया जा सकेगा।
यह प्रोजेक्ट मेक इन इंडिया पहल को भी मजबूती देगा। CABS द्वारा विकसित सिस्टम्स के निर्माण और एकीकरण के लिए भारतीय निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बड़े ऑर्डर मिलने की संभावना है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर, एयरोस्पेस कंपोनेंट्स और सिस्टम इंटीग्रेशन में विशेषज्ञता वाली कंपनियां शामिल होंगी।
क्यों खास है I-STAR?
I-STAR विमान हवा और जमीन दोनों पर निगरानी करने में सक्षम होंगे। ये विमान अत्यधिक ऊंचाई पर उड़ान भरकर दुश्मन के इलाके में बिना घुसे ही उनकी हर गतिविधि की सटीक जानकारी जुटा सकेंगे। खास बात यह है कि ये सिस्टम दिन-रात और खराब मौसम में भी बिना रुके काम करेंगे।
इन विमानों में लगे ISR सिस्टम (खुफिया जानकारी, निगरानी, लक्ष्य निर्धारण और टोही) भारतीय वायुसेना को दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले करने की क्षमता प्रदान करेंगे। इससे न केवल युद्ध में भारत को रणनीतिक बढ़त मिलेगी, बल्कि अनावश्यक नुकसान को भी कम किया जा सकेगा।
सामरिक महत्व और ऑपरेशन सिंदूर
वर्तमान में पश्चिमी सीमा पर चल रहे ऑपरेशन सिंदूर के बीच I-STAR विमानों का महत्व और बढ़ जाता है। ये विमान भारतीय वायुसेना को दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखने और त्वरित कार्रवाई करने की अभूतपूर्व क्षमता प्रदान करेंगे। इससे भारत की रक्षा तैयारियों को नई मजबूती मिलेगी और सीमाओं पर उसकी स्थिति और सुदृढ़ होगी।
वैश्विक मंच पर भारत की धमक
I-STAR प्रोजेक्ट भारत को न केवल सामरिक रूप से मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी रक्षा मैन्यूफैक्चरिंग क्षमताओं को भी प्रदर्शित करेगा। DRDO के स्वदेशी सेंसर और सिस्टम्स का उपयोग इस बात का प्रमाण है कि भारत अब रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है।