वक्फ बोर्ड पर सियासी घमासान: बीजेपी का आरोप, कांग्रेस-इंडी गठबंधन भू-माफियाओं के साथ मिलकर गरीब मुसलमानों का हक छीन रहे हैं
नई दिल्ली, 19 मार्च 2025, बुधवार। वक्फ बोर्ड को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और विपक्ष के इंडी गठबंधन की एकजुटता पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के महासचिव तरुण चुघ ने इसे भू-माफियाओं के साथ गठजोड़ करार दिया है। तरुण चुघ का कहना है कि वक्फ बोर्ड को भू-माफियाओं के चंगुल से मुक्त करना होगा और इसे गरीब मुस्लिम जनता के हाथों में सौंपना होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन भू-माफियाओं के साथ मिलकर गरीब मुसलमानों का हक छीन रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार अब गरीब मुसलमानों को उनका अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका कहना है कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन को गरीब मुसलमानों की चिंता नहीं है, बल्कि ये लोग भू-माफियाओं के इशारों पर कठपुतली की तरह नाच रहे हैं।
तरुण चुघ ने कड़े शब्दों में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और इंडी गठबंधन की निंदा की और अपील की कि वक्फ के नाम पर भू-माफियाओं के इशारों पर नृत्य करना बंद कर विपक्ष को गरीब मुसलमानों के हित में काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम मुसलमान भी वक्फ से जुड़े इन भू-माफियाओं से तंग आ चुके हैं और वक्फ बोर्ड को उनके कब्जे से मुक्त करना चाहते हैं। बीजेपी महासचिव ने कांग्रेस से सवाल किया कि वह बताए कि पिछले सत्तर सालों में वक्फ ने कितने गरीब मुसलमानों को छत दी, उनके उत्थान, बच्चों की शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में क्या योगदान दिया। उनका आरोप है कि कांग्रेस ने पिछले सत्तर सालों में वक्फ का इस्तेमाल केवल जमीन हड़पने और वोट बैंक की राजनीति के लिए किया, साथ ही बोर्ड पर बैठे भू-माफियाओं को बढ़ावा दिया। लेकिन अब यह नहीं चलेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि अब वक्फ भू-माफियाओं का नहीं, बल्कि गरीब मुसलमानों का होगा और उनके हित में काम करेगा।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को राजधानी दिल्ली में सड़क से लेकर संसद तक वक्फ बोर्ड का मुद्दा गरमाया रहा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित कई मुस्लिम संगठनों और पूरे विपक्ष ने वक्फ बोर्ड के नाम पर खूब हंगामा किया। दिल्ली का जंतर-मंतर ऐसा लग रहा था मानो एक बार फिर शाहीन बाग जैसे चक्का जाम की तैयारी का रणनीतिक अखाड़ा बन गया हो। निशाने पर कभी तथाकथित सेकुलरिज्म की मिसाल गंगा-जमुनी तहज़ीब थी, तो कभी इस देश के सनातनी, कभी तिरुपति बालाजी मंदिर, तो कभी राम मंदिर। मौलाना मदनी, ओवैसी और समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद धर्मेंद्र यादव ने वक्फ संशोधन विधेयक (वक्फ अमेंडमेंट बिल) को लागू न होने देने के लिए जिहाद और कुर्बानी तक की बात कही और आम मुसलमानों से इसके लिए तैयार रहने की अपील की।
इस मुद्दे पर जब हमने मुस्लिम संगठनों से बात की, तो उनका कहना था कि उनकी आवाज ऊंची है, लेकिन यह धमकी नहीं, बल्कि चेतावनी है। उनका दावा था कि वे सरकार को ललकारने नहीं, बल्कि अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए आए हैं। जब हमने पूछा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर आखिर विरोध किस बिंदु पर है, तो ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सचिव अबू तालिब रहमानी ने कहा कि सरकार जानबूझकर बदलाव कर रही है और दूसरे धर्म, यानी हिंदू समुदाय के लोगों को भी बोर्ड का सदस्य बना रही है। हमने सवाल किया कि आप गंगा-जमुनी तहज़ीब की बात करते हैं, तो फिर हिंदुओं के बोर्ड में शामिल होने से तकलीफ क्यों? इस पर उनका जवाब था कि गंगा-जमुनी तहज़ीब का मतलब यह नहीं कि हम अपने घरों में दूसरे धर्म के लोगों को घुसने दें। उन्होंने कहा कि इस सरकार को बांग्लादेश की हसीना अच्छी लगती है, भारत का हुसैन नहीं, लेकिन हम हसीना को इस देश में बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह देश हुसैन के बाप-दादाओं का भी है, इसलिए हम अपना हक लेकर रहेंगे। उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार हिंदुओं के वक्फ बोर्ड में मुसलमानों को जगह देगी? जब हमने कहा कि हिंदुओं का कोई वक्फ बोर्ड होता ही नहीं, तो उनका जवाब था कि राम मंदिर किसकी जमीन पर बना? क्या उस जमीन पर कब्जा नहीं किया गया? क्या राम मंदिर के बोर्ड में मुसलमानों को रखा जाएगा?
वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी ने कहा कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अमीख जामई का भी कुछ ऐसा ही कहना था। उनका सवाल था कि आखिर राम मंदिर किस तरह की जमीन पर बना है? जब हमने पूछा कि क्या आपको लगता है कि यह नया विवाद पैदा कर सकता है, तो उनका जवाब था कि वे विवाद से नहीं डरते।
इस मुद्दे पर कांग्रेस के सांसद इमरान मसूद ने कहा कि जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) ने बड़ी नाइंसाफी की है। वक्फ के स्टेकहोल्डर मुसलमान हैं, लेकिन उनकी अनदेखी कर दूसरे धर्म के लोगों से बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संसद से लेकर सड़क तक इस लड़ाई को लड़ेगी। उनकी यह लड़ाई अब सड़क पर उतर आई है और जहां खून देना होगा, वहां खून देंगे। वे मुसलमानों के खिलाफ सरकार के मंसूबों को पूरा नहीं होने देंगे।
इस मुद्दे पर मौलाना महमूद मदनी सबसे आगे बढ़कर बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मुस्लिमों का मामला नहीं, बल्कि इस मुल्क के संविधान का सवाल है। पहले हमारे घरों पर बुलडोजर चले, फिर मस्जिदों और मदरसों पर, लेकिन अब संविधान पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। यह तो शुरुआत है, हर लड़ाई के लिए कुर्बानी जरूरी होती है। उन्होंने सरकार और हिंदुओं को धमकी भरे अंदाज में कहा कि हम कुर्बानी के लिए तैयार हैं। आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। उनका आरोप था कि इस देश को बहुसंख्यक राज्य बनाने की कोशिश हो रही है, जिसे वे नहीं होने देंगे। शाहीन बाग जैसे प्रदर्शन की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इस लड़ाई में सिर्फ मुसलमान ही नहीं, बल्कि उनकी तरह सोचने वाले सभी धर्मों के लोग जुटाए जाएंगे।