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Monday, July 21, 2025

महोबा से बीजेपी विधायक ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, अरशद मदनी को बताया आतंकियों का समर्थक, ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज की मांग

महोबा, 21 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश के महोबा से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक ब्रजभूषण राजपूत, जिन्हें ‘गुड्डू भैया’ के नाम से भी जाना जाता है, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर विवादास्पद फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स’ की रिलीज की अनुमति देने की मांग की है। यह फिल्म राजस्थान के उदयपुर में 2022 में हुए कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है, जिसने देशभर में सनसनी फैला दी थी।

ब्रजभूषण राजपूत ने अपने पत्र में दावा किया है कि ‘उदयपुर फाइल्स’ को सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणपत्र प्राप्त हो चुका है, लेकिन “जिहादी तत्व” साजिश के तहत इसे रिलीज होने से रोकना चाहते हैं। उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी पर आरोप लगाया कि वे हमेशा भारत के खिलाफ आतंकवादियों को कानूनी सहायता प्रदान करते रहे हैं। इसके साथ ही, उन्होंने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पर भी निशाना साधा, जिन्होंने श्री राम मंदिर और धारा 370 के मामले में सरकार के खिलाफ स्टैंड लिया था। विधायक ने कहा कि ये लोग “इस्लामिक आतंकवाद के चेहरे” को उजागर होने से रोकने के लिए फिल्म की रिलीज को लेकर घबराए हुए हैं।

पत्र में राजपूत ने लिखा, “कन्हैया लाल जी की हत्या एक ऐसा दर्द है, जिसके पर्दे पर आने से हिंदुओं में चेतना का उदय होगा।” उन्होंने दावा किया कि देश का करोड़ों हिंदू जनमानस इस फिल्म को देखना चाहता है। विधायक ने यह भी उल्लेख किया कि दिल्ली उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने मौलाना अरशद मदनी और कन्हैया लाल हत्याकांड के एक आरोपी मोहम्मद जावेद की याचिकाओं को लंबित रखा है, जिसमें फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को करना है।

ब्रजभूषण ने प्रधानमंत्री से “100 करोड़ हिंदू जनमानस के हृदयों के भाव का सम्मान” करते हुए फिल्म को रिलीज करने की अनुमति देने की अपील की है।

पृष्ठभूमि और विवाद: ‘उदयपुर फाइल्स’ 11 जुलाई 2025 को रिलीज होने वाली थी, लेकिन जमीयत उलेमा-ए-हिंद और अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को इसकी रिलीज पर अंतरिम रोक लगा दी। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि फिल्म सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ सकती है और एक विशेष समुदाय को बदनाम करती है। दूसरी ओर, कन्हैया लाल की पत्नी जशोदा तेली और उनके बेटे यश तेली ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखकर फिल्म की रिलीज की मांग की है, जिसमें उन्होंने कहा कि यह फिल्म उनके परिवार के दर्द और सच्चाई को दर्शाती है।

सुप्रीम कोर्ट ने 16 जुलाई को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की वैधानिक समिति के फैसले का इंतजार करने का निर्देश दिया था। इस मामले की अगली सुनवाई आज, 21 जुलाई को होनी है। सेंसर बोर्ड ने कोर्ट को बताया कि फिल्म से सभी विवादित दृश्य हटा दिए गए हैं, लेकिन याचिकाकर्ता पक्ष का कहना है कि पूरे फिल्म के प्रभाव का मूल्यांकन आवश्यक है।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ी हुई है। जहां कुछ लोग फिल्म को कन्हैया लाल हत्याकांड की सच्चाई सामने लाने का माध्यम मानते हैं, वहीं अन्य इसे धार्मिक नफरत फैलाने वाला करार दे रहे हैं। हिंदू संगठनों ने फिल्म की रिलीज की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किए हैं।

फिलहाल, सभी की निगाहें केंद्र सरकार के फैसले पर टिकी हैं, जो इस विवाद को सुलझाने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।

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