वाराणसी, 13 जून 2025: वाराणसी के चर्चित पशुपतिनाथ सिंह हत्याकांड में आखिरकार इंसाफ की घड़ी आ ही गई। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस जघन्य अपराध के 16 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसने न केवल वाराणसी, बल्कि लखनऊ से दिल्ली तक सनसनी मचा दी थी। यह वह मामला है, जिसने 2022 से लेकर अब तक सुर्खियां बटोरीं, जहां एक BJP नेता की बेरहमी से हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया था। विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) की अदालत ने अप्रैल 2023 में ही 16 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे, और अब फैसले ने पीड़ित परिवार को कुछ राहत दी है। हालांकि, मृतक के बेटे रुद्रेश सिंह ने कहा, “हत्यारों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए।”
क्या था पूरा मामला?
12 अक्टूबर 2022 की वह काली शाम, जब सिगरा थाना क्षेत्र के जयप्रकाश नगर (माधोपुर) में देसी शराब के ठेके के पास का माहौल अचानक खौफनाक हो उठा। सिगरा के चंदुआ छित्तूपुर निवासी मंटू सरोज, राहुल सरोज और उनके कुछ साथी शराब पीकर गाली-गलौज और हंगामा कर रहे थे। पड़ोस में रहने वाले राजकुमार सिंह ने उन्हें डांटकर वहां से भगाया। यह बात उपद्रवियों को नागवार गुजरी। थोड़ी ही देर में 15-20 लोगों का हुजूम लाठी-डंडों और लोहे की रॉड लिए वापस लौटा। मंटू, राहुल और अभिषेक के उकसावे पर भीड़ ने राजकुमार पर हमला बोल दिया।
शोर सुनकर राजकुमार के पिता, BJP नेता पशुपतिनाथ सिंह (71) बीच-बचाव करने पहुंचे। मगर, क्रूर हमलावरों ने उन्हें भी नहीं बख्शा। लोहे की रॉड और डंडों से ताबड़तोड़ वार किए गए। गंभीर चोटों की वजह से पशुपतिनाथ सिंह अचेत होकर जमीन पर गिर पड़े। परिजन उन्हें तुरंत BHU ट्रॉमा सेंटर ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस दिल दहलाने वाली घटना ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया।
हाईप्रोफाइल केस और सख्त कार्रवाई
घटना के बाद मामला हाईप्रोफाइल हो गया। राजकुमार सिंह ने हमलावरों के नाम और घटनाक्रम पुलिस को बताया। पुलिस ने दिनेश पाल, सूरज यादव, अनूप सरोज, मन्टू सरोज, अभिषेक सरोज, गणेश सरोज, मनीष पांडेय, रमेश पाल, सुरेश सरोज, श्यामबाबू, पवन, साहिल गुप्ता, संदीप गुप्ता, विशाल राजभर, विकास राजभर समेत 18 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। जांच में STF को भी शामिल किया गया, जिसने तेजी से कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया। हथियारों को गंगा में फेंके जाने की बात सामने आई, जिसे सामने घाट पुल के पास से फेंका गया था। पुलिस ने 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की, जिसमें दो नाबालिग थे, जिनका मामला किशोर न्यायालय में चल रहा है।
इस हत्याकांड की गूंज इतनी तेज थी कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पत्र लिखकर शोक जताया। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पीड़ित परिवार से मिलने उनके घर पहुंचे। इस बीच, लापरवाही के आरोप में दो दरोगा समेत 9 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया।
न्याय की राह और बेटे की पुकार
लगातार तीन साल की सुनवाई के बाद कोर्ट का फैसला आया। 16 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई, लेकिन पशुपतिनाथ सिंह के बेटे रुद्रेश का गुस्सा अभी ठंडा नहीं हुआ। उन्होंने कहा, “मेरे पिता की बेरहमी से हत्या करने वालों को उम्रकैद नहीं, फांसी की सजा मिलनी चाहिए।” यह मामला न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज में बढ़ती गुंडागर्दी और हिंसा के खिलाफ एक सख्त संदेश भी है।