नई दिल्ली, 18 जून 2025, बुधवार। जब बात बिहार की होती है, तो ज्यादातर लोग मखाना, खेती, या पारंपरिक छवि की बात करते हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि बिहार अब केवल कृषि का गढ़ नहीं, बल्कि भारत का उभरता हुआ प्रोडक्शन हब बन चुका है? जी हाँ, बिहार की धरती से अब विश्व स्तरीय रेलवे इंजन बन रहे हैं, जिनकी डिमांड विदेशों तक पहुँच रही है! भारतीय रेलवे के मेगा प्रोजेक्ट्स और बिहार के योगदान को समझने के लिए वरिष्ठ पत्रकार अनिता चौधरी ने रेलवे मंत्रालय के प्रवक्ता दिलीप कुमार से खास बातचीत की। आइए, जानते हैं बिहार कैसे बन रहा है रेलवे प्रोडक्शन का पावरहाउस और 20 तारीख को बिहारवासियों को क्या सौगात मिलने वाली है!
बिहार की धमक: वैश्विक बाजार में रेलवे इंजन की गूंज
दिलीप कुमार ने बताया कि भारतीय रेलवे ने मैन्युफैक्चरिंग पर अभूतपूर्व ध्यान दिया है। देश भर में फैले कारखानों में आधुनिक तकनीक से रेलवे कोच और इंजन बन रहे हैं। मसलन, चेन्नई में वंदे भारत कोच, कपूरथला में नमो भारत रेल, और वाराणसी व चितरंजन में लोकोमोटिव इंजन का निर्माण हो रहा है। लेकिन बिहार का योगदान इस कहानी को नया रंग दे रहा है।
बिहार में दो बड़ी लोकोमोटिव फैक्ट्रियां स्थापित की गई हैं:
- मधेपुरा: यहाँ इलेक्ट्रिक इंजन बनाए जा रहे हैं, जो रेलवे के भविष्य को शक्ति दे रहे हैं।
- मढ़ौरा: डीजल इंजन का उत्पादन केंद्र, जो अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी छाप छोड़ रहा है।
मढ़ौरा की फैक्ट्री ने हाल ही में अफ्रीकी गणराज्य से 150 डीजल लोकोमोटिव इंजनों का बड़ा ऑर्डर हासिल किया है। इनमें से 37 इंजन पहले साल, 82 दूसरे साल, और 31 तीसरे साल में सप्लाई किए जाएंगे। ये 4500 हॉर्स पावर के शक्तिशाली इंजन हैं, जो न सिर्फ ताकतवर हैं, बल्कि पर्यावरण के लिहाज से भी इको-फ्रेंडली हैं।
क्या खास है इन इंजनों में?
दिलीप कुमार ने बताया कि मढ़ौरा में बनने वाले इन इंजनों में कई अत्याधुनिक फीचर्स हैं, जो इन्हें वैश्विक बाजार में अलग बनाते हैं:
- लोको पायलट की सुविधा: इंजनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर की केबिन डिजाइन, आरामदायक सीटें, उच्च गुणवत्ता के कुशन और गद्दे।
- आधुनिक सुविधाएँ: रेफ्रिजरेटर, माइक्रोवेव, और अत्याधुनिक टॉयलेट।
- वायरलेस कंट्रोल: एक ही पायलट दो इंजनों को आसानी से नियंत्रित कर सकता है।
- पर्यावरण के अनुकूल: कम प्रदूषण, ज्यादा दक्षता।
इन खूबियों ने मढ़ौरा के इंजनों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है।
मढ़ौरा: अपराध की छवि से प्रोडक्शन हब तक
कभी अपराध और पिछड़ेपन के लिए बदनाम मढ़ौरा आज देश को विश्व स्तरीय रेलवे इंजन दे रहा है। यह बिहार के लिए गर्व का पल है। बिहार अब केवल खेती या मखाने का पर्याय नहीं, बल्कि तकनीक और उद्योग का नया केंद्र बन रहा है।
20 तारीख की सौगात: वंदे भारत की नई रेल
20 तारीख को बिहार को एक और बड़ी सौगात मिलने वाली है। दिलीप कुमार ने खुलासा किया कि भारतीय रेलवे पूरे देश को जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। कश्मीर में चिनार और अंजी ब्रिज के साथ दो वंदे भारत ट्रेनें शुरू हो चुकी हैं। अब बिहार की बारी है! एक नई वंदे भारत ट्रेन बिहार को समर्पित की जाएगी, जो पाटलिपुत्र से सोनपुर, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बापूधाम, मोतिहारी होते हुए गोरखपुर तक चलेगी। यह ट्रेन पूर्वांचल के लिए गेम-चेंजर साबित होगी, जो यात्रियों को तेज, आरामदायक, और आधुनिक यात्रा का अनुभव देगी।
बिहार का उज्ज्वल भविष्य
बिहार अब केवल अतीत की कहानियों में नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं में जी रहा है। रेलवे के इन मेगा प्रोजेक्ट्स से न सिर्फ बिहार की अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि यहाँ के युवाओं को रोजगार और गर्व का नया अवसर भी मिलेगा। मधेपुरा और मढ़ौरा की फैक्ट्रियां, वंदे भारत की नई सौगात, और वैश्विक ऑर्डर बिहार को औद्योगिक नक्शे पर चमकदार सितारा बना रहे हैं।
तो, तैयार हो जाइए! बिहार की यह नई उड़ान न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया को हैरान करने वाली है!