पटना, 1 अप्रैल 2025, मंगलवार। बिहार की सियासी जमीन पर 2025 के विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने जमीनी अभियान का खाका तैयार कर लिया है। सूत्रों की मानें तो मई-जून 2025 से भाजपा गांव-गांव तक पहुंचने के लिए व्यापक अभियान शुरू करने जा रही है। इस बार पार्टी का पूरा जोर ग्रामीण इलाकों पर होगा, जहां इसके नेता न सिर्फ लोगों से मिलेंगे, बल्कि रातभर ठहरकर उनकी समस्याओं को करीब से समझने की कोशिश करेंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली “डबल इंजन सरकार” इस चुनावी अभियान का केंद्र बिंदु होगी।
फसल कटाई के बाद शुरू होगा अभियान
भाजपा ने अपने अभियान की शुरुआत के लिए मई-जून का समय इसलिए चुना है, क्योंकि इस दौरान बिहार के ग्रामीण इलाकों में फसल कटाई का काम पूरा हो चुका होगा। किसानों और ग्रामीण मतदाताओं के पास समय होगा, जिसका फायदा उठाकर पार्टी अपने नेताओं को गांवों में भेजेगी। इस अभियान में विधायक, सांसद, मंत्री और संगठन के पदाधिकारी शामिल होंगे। रातभर गांवों में रुकने की योजना से भाजपा का मकसद स्थानीय लोगों के साथ गहरा जुड़ाव बनाना और उनकी नब्ज टटोलना है। यह रणनीति न केवल चुनावी तैयारियों को मजबूत करेगी, बल्कि ग्रामीण मतदाताओं में पार्टी की पैठ को भी गहरा कर सकती है।
डबल इंजन सरकार होगी मुख्य हथियार
भाजपा इस बार अपने प्रचार में “डबल इंजन सरकार” के नारे को प्रमुखता देगी। नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ गठबंधन में चल रही सरकार और केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व को पार्टी अपनी सबसे बड़ी ताकत मान रही है। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा इस बात पर जोर देगी कि डबल इंजन सरकार ने बिहार में विकास की रफ्तार को तेज किया है। सड़क, बिजली, पानी और रोजगार जैसे मुद्दों को उठाकर पार्टी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेगी। इसके साथ ही, पीएम मोदी की लोकप्रियता और नीतीश कुमार का अनुभव गठबंधन की जीत का आधार बन सकता है।
गांव-गांव प्रवास: रणनीति में क्या है खास?
इस अभियान की सबसे खास बात है इसका जमीनी स्तर पर फोकस। भाजपा के नेता न सिर्फ गांवों में सभाएं करेंगे, बल्कि रातभर ठहरकर ग्रामीणों के साथ संवाद करेंगे। यह रणनीति पार्टी को निचले स्तर की समस्याओं को समझने और उन्हें अपने चुनावी वादों में शामिल करने का मौका देगी। पिछले चुनावों में शहरी इलाकों में मजबूत प्रदर्शन करने वाली भाजपा अब ग्रामीण मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। सूत्रों का कहना है कि कुछ इलाकों में सीटों के बंटवारे में बदलाव भी संभव है, जिससे भाजपा अपने हिस्से की सीटों पर ज्यादा ध्यान दे सके।
कड़ा मुकाबला तय, विपक्ष भी तैयार
बिहार में विधानसभा चुनाव हमेशा से कांटे की टक्कर वाला रहा है। इस बार भी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के नेतृत्व वाला महागठबंधन भाजपा-जेडीयू गठबंधन को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव पहले ही युवाओं और रोजगार जैसे मुद्दों को लेकर सरकार पर हमलावर हैं। ऐसे में भाजपा का यह जमीनी अभियान न केवल संगठन को मजबूत करने की कवायद है, बल्कि विपक्ष के हमलों का जवाब देने की रणनीति भी है।
क्या होगा असर?
मई-जून से शुरू होने वाला यह अभियान बिहार की सियासत में एक नया रंग ला सकता है। अगर भाजपा ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत कर लेती है, तो यह 2025 के चुनाव में एनडीए की जीत का रास्ता आसान कर सकता है। हालांकि, विपक्ष की एकजुटता और तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता इस अभियान की राह में बड़ी चुनौती बन सकती है। कुल मिलाकर, भाजपा का यह कदम दिखाता है कि पार्टी इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।
अब सवाल यह है कि क्या गांव-गांव का यह प्रवास भाजपा को बिहार की सत्ता में मजबूती दे पाएगा, या विपक्ष इसे नाकाम करने में कामयाब होगा? जवाब तो वक्त ही देगा, लेकिन इतना तय है कि बिहार की सियासी जंग अब और रोमांचक होने वाली है!