नई दिल्ली, 20 जनवरी 2025, सोमवार। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह हास्यास्पद है कि अज्ञानी लोग अपने संकीर्ण दृष्टिकोण से हमें समावेशिता के बारे में जागरूक करने की कोशिश करते रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि देश के इतिहास का पहला मसौदा उपनिवेशवादियों के विकृत दृष्टिकोण के माध्यम से आया था, जिससे हमारी ज्ञान प्रणाली का जैविक विकास बाधित हुआ।
धनखड़ ने आगे कहा कि हजारों लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया, लेकिन कुछ को ही बढ़ावा दिया गया और आजादी के बाद भी इसे जड़ें जमाने दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि हमें खुद को औपनिवेशिक विरासत और मानसिकता से मुक्त करना होगा।
उपराष्ट्रपति ने वेदांत, जैन धर्म, बौद्ध धर्म और अन्य के दार्शनिक संस्थानों की महत्ता पर भी जोर दिया, जिन्होंने हमेशा संवाद और सह-अस्तित्व को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने युवाओं से भारत के गणितीय योगदान पर गर्व करने का आग्रह किया और कहा कि अब समय आ गया है कि भारत की विरासत फले-फूले और आगे बढ़े।
इस अवसर पर, उन्होंने भारतीय विद्या भवन में नंदलाल नुवाल सेंटर ऑफ इंडोलॉजी की आधारशिला रखी, जो भारत, उसके लोगों, संस्कृति, भाषाओं और साहित्य के अकादमिक अध्ययन को बढ़ावा देगा।