वाराणसी, 13 सितंबर 2025: बिजली निगम की स्मार्ट मीटर योजना में गंभीर अनियमितता सामने आई है। चार जिलों—वाराणसी, चंदौली, जौनपुर और गाजीपुर—में अब तक तीन लाख स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, लेकिन पुराने इलेक्ट्रॉनिक मीटरों को हटाने और उनके डेटा को संरक्षित करने में भारी लापरवाही बरती जा रही है। नियमों के अनुसार, हटाए गए मीटरों की जांच कर छह महीने तक उनका डेटा सुरक्षित रखना अनिवार्य है, मगर उपकेंद्रों पर हजारों मीटर कूड़े के ढेर की तरह फेंके मिले।
कूड़े की तरह पड़े हैं मीटर
पड़ताल में खुलासा हुआ कि चितईपुर और लेढ़ूपुर स्थित बिजली निगम के कार्यालयों के पीछे पुराने मीटर बिना रिकॉर्ड के डंप किए गए हैं। वाराणसी में 65,000 स्मार्ट मीटर लगाए गए, जिनमें 19,500 मीटर बिना जांच (ब्राउंटिंग) के जमा किए गए। चारों जिलों में कुल 2.34 लाख स्मार्ट मीटर लगे, जिनमें 36,500 मीटरों का डेटा ठीक से दर्ज नहीं हुआ। इससे डेटा गड़बड़ी की जांच भी असंभव हो सकती है।
उपभोक्ताओं की शिकायतें अनसुनी
उपभोक्ता आए दिन स्मार्ट मीटरों के तेज चलने और गलत रीडिंग की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन बिना जांच के मीटर जमा करने से इन शिकायतों का समाधान मुश्किल हो रहा है। पश्चिमी यूपी के सीतापुर, गोंडा और बलरामपुर में भी ऐसी अनियमितताओं के चलते मीटर लगाने वाली कंपनियों पर मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
अधिकारी का बयान
मुख्य अभियंता राकेश पांडेय ने दावा किया कि सभी हटाए गए मीटरों का ऑनलाइन रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है और डेटा सुरक्षित रखा जा रहा है। उन्होंने कहा, “अगर मीटर अव्यवस्थित ढंग से रखे गए हैं, तो संबंधित अधिकारियों से जानकारी लेकर कार्रवाई की जाएगी।”
निगम की कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
स्मार्ट मीटर योजना को पारदर्शी और उपभोक्ता हित में लागू करने का दावा करने वाला बिजली निगम इस लापरवाही से सवालों के घेरे में है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना जांच और रिकॉर्ड के मीटर डंप करना न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि उपभोक्ताओं के साथ धोखा भी है।
इस मामले में निगम की ओर से त्वरित कार्रवाई की मांग उठ रही है, ताकि डेटा संरक्षण और उपभोक्ता शिकायतों का समाधान सुनिश्चित हो सके।