नई दिल्ली, 24 दिसंबर 2024, मंगलवार। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि रेप, एसिड अटैक और यौन हमलों की पीड़िताओं को सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों और नर्सिंग होम में मुफ्त मेडिकल उपचार प्रदान किया जाना चाहिए। यह फैसला एक 16 वर्षीय लड़की के मामले में सुनाया गया, जिसके साथ उसके पिता ने रेप किया था।
कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सभी अस्पतालों, नर्सिंग होम, क्लीनिकों, चिकित्सा केंद्रों का यह दायित्व है कि वे रेप पीड़िताओं, POCSO मामले के पीड़ितों और इसी प्रकार के यौन हमलों की पीड़िताओं को मुफ्त मेडिकल देखभाल और उपचार प्रदान करें। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा है कि यौन उत्पीड़न पीड़िताओं को उपचार देने से इनकार करना अपराध है, जिसके लिए अस्पताल के डॉक्टरों, कर्मचारियों और प्रबंधन को दंडित किया जा सकता है।
यह फैसला यौन हिंसा की पीड़िताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिन्हें अक्सर मुफ्त मेडिकल ट्रीटमेंट मिलने के लिए परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोर्ट ने कहा है कि मुफ्त उपचार में पीड़िताओं के लिए आवश्यक किसी भी टेस्ट, डायग्नोस्टिक और लॉन्ग टर्म केयर भी शामिल होनी चाहिए। इसके अलावा, ऐसी पीड़िताओं की आवश्यकतानुसार शारीरिक और मानसिक काउंसलिंग की जानी चाहिए।
कोर्ट ने अस्पतालों को कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया है। इनमें शामिल हैं:
तुरंत जांच: ऐसे अपराधों के पीड़िताओं की तुरंत जांच की जानी चाहिए।
यौन संचारित रोगों के लिए उपचार: यदि आवश्यक हो, तो उन्हें एचआईवी जैसे यौन संचारित रोगों के लिए उपचार दिया जाना चाहिए।
काउंसलिंग: पीड़िताओं को काउंसलिंग की जानी चाहिए।
गर्भावस्था की जांच: उनकी गर्भावस्था की जांच की जानी चाहिए और यदि जरूरी हो तो गर्भनिरोधक प्रदान किया जाना चाहिए।
आपातकालीन मामलों में पहचान प्रमाण: आपातकालीन मामलों में, संबंधित अस्पताल या नर्सिंग होम पीड़िता को भर्ती करने के लिए पहचान प्रमाण पर जोर नहीं देगा।