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यूपीआई पर बड़ा बदलाव: ₹3,000 से अधिक के लेनदेन पर लग सकती है मर्चेंट फी, डिजिटल भुगतान में हलचल

नई दिल्ली, 11 जून 2025, बुधवार: भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति का चेहरा बने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) में जल्द ही एक महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकता है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ₹3,000 से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) फिर से लागू करने की तैयारी कर रही है। यह कदम जनवरी 2020 से लागू जीरो फी नीति को समाप्त कर सकता है, जिसने भारत को डिजिटल भुगतान में वैश्विक अग्रणी बनाया।

क्या है प्रस्तावित बदलाव?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ₹3,000 से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर 0.2% से 0.3% की दर से MDR लागू करने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, ₹3,000 तक के छोटे लेनदेन मुफ्त रहेंगे, ताकि छोटे व्यापारियों और उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ न पड़े। इस प्रस्ताव का उद्देश्य बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करना है, जो मुफ्त यूपीआई लेनदेन के कारण घाटे का सामना कर रहे हैं।

क्यों जरूरी है MDR की वापसी?

यूपीआई ने भारत को डिजिटल भुगतान में विश्व में नंबर एक बनाया है। NPCI के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 में यूपीआई के माध्यम से 16.1 बिलियन लेनदेन हुए, जिनका कुल मूल्य ₹22 लाख करोड़ था। लेकिन मुफ्त लेनदेन की नीति ने बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स पर वित्तीय दबाव बढ़ाया है। 2023-24 में सरकार ने यूपीआई और RuPay लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए ₹3,631 करोड़ की सब्सिडी दी, लेकिन यह राशि सिस्टम की लागत को कवर करने के लिए अपर्याप्त थी। विशेषज्ञों का कहना है कि MDR की वापसी से भुगतान बुनियादी ढांचे में निवेश और नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

कौन होगा प्रभावित?

प्रस्तावित MDR बड़े व्यापारियों पर लागू होगा, जिनका वार्षिक GST टर्नओवर ₹40 लाख से अधिक है। छोटे दुकानदारों को राहत देने के लिए ₹3,000 तक के लेनदेन को मुफ्त रखा जाएगा। उदाहरण के लिए, ₹3,000 के लेनदेन पर व्यापारी को 0.3% MDR के हिसाब से ₹9 तक की फी देनी पड़ सकती है। हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि बड़े व्यापारी इस लागत को उपभोक्ताओं पर डाल सकते हैं, जिससे वस्तुओं की कीमतें बढ़ सकती हैं या नकद लेनदेन को बढ़ावा मिल सकता है।

उद्योग की मांग और जनता की चिंता

पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और PhonePe, Google Pay जैसे प्रमुख यूपीआई खिलाड़ी लंबे समय से MDR लागू करने की वकालत कर रहे हैं। उनका तर्क है कि बिना शुल्क के डिजिटल भुगतान का बुनियादी ढांचा बनाए रखना मुश्किल है। दूसरी ओर, उपभोक्ताओं और छोटे व्यापारियों में चिंता है कि MDR की वापसी से डिजिटल इंडिया मिशन को झटका लग सकता है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे डिजिटल भुगतान की लोकप्रियता के लिए नुकसानदेह बताया है।

ब्राजील का पिक्स मॉडल दे रहा प्रेरणा

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ब्राजील के पिक्स भुगतान सिस्टम से प्रेरणा ले सकता है, जहां व्यापारियों पर 0.22% का औसत MDR लागू है। यह दर क्रेडिट कार्ड (2.2%) और डेबिट कार्ड (1%) की तुलना में काफी कम है, जिसने पिक्स को टिकाऊ और लोकप्रिय बनाया है। भारत में भी इसी तरह का संतुलित दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है।

आगे क्या?

सूत्रों के अनुसार, MDR लागू करने का अंतिम फैसला प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा लिया जाएगा, जिसमें वित्त मंत्रालय का समर्थन होने की संभावना है। यह नीति अगले दो महीनों में लागू हो सकती है। यदि ऐसा होता है, तो यह यूपीआई की मुफ्त सेवा के युग का अंत होगा, लेकिन साथ ही यह डिजिटल भुगतान के भविष्य को और मजबूत करने का कदम भी हो सकता है।

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