लखनऊ, 6 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व संबंधी मामलों की जांच प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। अब लेखपाल स्तर की जांच पर रोक लगा दी गई है और उनकी रिपोर्ट को अंतिम नहीं माना जाएगा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने जनता दर्शन में प्राप्त हो रही शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए यह कदम उठाया है। अब राजस्व संबंधी सभी शिकायतों की जांच नायब तहसीलदार करेंगे, और अंतिम निर्णय उपजिलाधिकारी (SDM) स्तर पर लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री कार्यालय के अपर मुख्य सचिव एसपी गोयल ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों के अनुसार, नायब तहसीलदार से नीचे का कोई भी अधिकारी राजस्व मामलों की जांच नहीं करेगा। शिकायतकर्ता की सुनवाई के बाद नायब तहसीलदार अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसके आधार पर उपजिलाधिकारी अंतिम निर्णय लेंगे। इस नई व्यवस्था का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और जनता की समस्याओं का त्वरित व निष्पक्ष समाधान सुनिश्चित करना है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस निर्णय के माध्यम से यह संदेश दिया है कि जनता की समस्याओं के प्रति सरकार पूरी तरह गंभीर है। अब किसी भी शिकायत का समाधान केवल कागजी रिपोर्ट के आधार पर नहीं, बल्कि शिकायतकर्ता की सुनवाई और तथ्यों की गहन जांच के बाद होगा। इस कदम से राजस्व विभाग में जवाबदेही और विश्वसनीयता बढ़ने की उम्मीद है।
यह निर्णय जनता दर्शन में बार-बार सामने आ रही शिकायतों के बाद लिया गया, जहां लेखपालों की जांच रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे थे। सरकार का यह कदम न केवल प्रशासनिक प्रक्रिया को मजबूत करेगा, बल्कि आम जनता को न्याय प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करेगा।