मुंबई, 10 नवंबर 2024, रविवार। महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनाव के बीच टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक रिपोर्ट ने बड़ी बहस छेड़ दी है। रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे शहर का सामाजिक और आर्थिक ढांचा प्रभावित हो सकता है। यह रिपोर्ट महाराष्ट्र के राजनीतिक माहौल में एक बड़ा मुद्दा बन गया है, खासकर चुनाव के समय में। बीजेपी ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन पर आरोप लगाया है कि वे इस मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अवैध प्रवासी नकली वोटर आईडी कार्ड बनवा रहे हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।
मुंबई में जनसंख्या संरचना में बड़ा बदलाव, हिंदू आबादी में कमी
टाटा इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या ने शहर की जनसंख्या संरचना को बदल दिया है। 1961 से 2011 तक के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि हिंदू आबादी में कमी आई है, जबकि मुस्लिम आबादी में वृद्धि हुई है। 1961 में मुंबई की हिंदू आबादी 88 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 66 प्रतिशत रह गई। इसी अवधि में मुस्लिम आबादी में वृद्धि दर्ज की गई, जो 1961 में 8 प्रतिशत से बढ़कर 2011 में 21 प्रतिशत हो गई। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 2051 तक हिंदू आबादी में 54 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है, जबकि मुस्लिम जनसंख्या 30 प्रतिशत तक बढ़ सकती है। यह बदलाव शहर के सामाजिक और आर्थिक ढांचे को प्रभावित कर सकता है।
मुंबई में अवैध प्रवासियों का बढ़ता प्रभाव, शहर के लिए नई चुनौतियां
टाटा इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या ने शहर के लिए कई नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। अवैध झुग्गियों की संख्या में वृद्धि से सरकारी संसाधनों पर दबाव बढ़ गया है, जिससे शहर के निवासियों के लिए समस्याएं बढ़ रही हैं। शहर के कुछ इलाकों में पानी की कमी और महिला तस्करी के मामलों में भी वृद्धि देखने को मिल रही है। अवैध प्रवासियों की बाढ़ से शहर के कई हिस्सों में बुनियादी सुविधाएं गंभीर रूप से प्रभावित हुई हैं, जिससे निवासियों के लिए जीवन यापन मुश्किल हो गया है। यह समस्याएं न केवल शहर के निवासियों के लिए चुनौतीपूर्ण हैं, बल्कि शहर के विकास और स्थिरता के लिए भी खतरा हैं। सरकार को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।
राजनीतिक विवाद की वजह बनी रिपोर्ट
मुंबई में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। टाटा इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के प्रकाश में आने के बाद एनसीपी और बीजेपी के बीच मतभेद खुलकर सामने आए हैं। अवैध प्रवासियों के समर्थन में बोगस एनजीओ और नकली दस्तावेजों के आरोप लगाए जा रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही यह मुद्दा गरमा गया है।