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Sunday, June 29, 2025

BIG BREAKING: देहरादून यूसीसी बिल को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

देहरादून, उत्तराखंड सरकार के मुखिया पुष्कर सिंह धामी की यूसीसी मुहिम को राष्ट्रपति दफ्तर से भी मंजूरी मिल गई है।इसे एक बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।महज 18 माह के भीतर ही सत्ता संभालने के बाद सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले में पहल करते हुए कमेटी गठित करते हुए शुरुवात सरकार बनते ही कर दी थी। देश में उत्तराखंड पहला राज्य बन गया है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड क्या है…

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों (हर धर्म, जाति, लिंग के लोग) के लिए एक ही कानून होना. अगर किसी राज्य में सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे तमाम विषयों में हर नागरिकों के लिए एक से कानून होगा. संविधान के चौथे भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्व का विस्तृत ब्यौरा है जिसके अनुच्छेद 44 में कहा गया है कि सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार का दायित्व है.

  गौरतलब है कि उत्तराखंड विधानसभा सदन में बोलते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संबोधन में कहा था कि प्रधानमंत्री के विकसित भारत के संकल्प में उत्तराखंड सदन की ओर से यूसीसी एक आहुति है, जाती धर्म लिंग क्षेत्र के आधार पर भेद  करने वाले व्यक्तिगत सभी नागरिक कानूनों में समनता लाने का काम किया है ,संविधान में भी जनजातियों को विशेष  संरक्षण प्राप्त है, इसलिए यूसीसी से उनको बाहर रखा गया है ,जायज या अन्य रिश्तों से जन्मे बच्चों को पूरा सरंक्षण दिया गया है,विवाह विच्छेद से संबंधित अनेक कानून चल रहे थे, उनमें समानता लाने का काम किया है ,यूसीसी में पति की मृत्यु पर किसी भी महिला के दुबारा शादी करने से संबंधित कुप्रथाओं को समाप्त कर दिया गया है ,हमनें संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके ।

यूसीसी highlights…..

– विवाह की उम्र 18 और 21 सभी संप्रदायों के लिए अनिवार्य

– विवाह का पंजीकरण अनिवार्य

शादी के एक वर्ष के भीतर डायवोर्स के लिए याचिका नहीं डाली जा सकेगी

शादी के नियमों का कानून उल्लंघन करने पर 6 महीने की सजा 50 हजार का जुर्माना

एक से अधिक पत्नियों वाले पुरुष को डायवोर्स लेने के दौरान पत्नी को अदालती कार्रवाई का खर्चा देना होगा, हर महीने मेंटिनेंस भी देना होगा

मेंटिनेंस के ऐसे आवेदनों को साठ दिन के भीतर निस्तारित करना होगा

डायबोर्स के मामले में अव्यवस्यक बच्चे की अभिरक्षा कोर्ट तय करेगा, लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चे की अभिरक्षा मां को मिलेगी

जनजातीय समाज को ड्राफ्ट से पूरी तरह बाहर रखा गया है

राज्य के मूल निवासी व स्थाई निवासियों पर, राज्य सरकार या उसके किसी उपक्रम के वे स्थाई कर्मचारी जो राज्य की सीमा में तैनात हों,  राज्य में कम से कम एक वर्ष से निवास कर रहे हों, ऐसे व्यक्तियों पर ये act लागू होगा

मुस्लिम वर्ग में लड़की की शादी के लिए न्यूनतम उम्र  वह होती है, जिस आयु में उसका मासिक धर्म शुरू होता है

डायबोर्स का ग्राउंड सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज को भी बनाया गया है, ऐसा पहली बार किया गया है

समान नागरिक संहिता में किसी भी वर्ग के अनुष्ठानों सेरेमनी एंड रिचुअल्स पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है

सप्तपदी, आशीर्वाद, निकाह,पवित्र बंधन, आनंद कारज,आर्य समाजी विवाह,विशेष विवाह अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत  विवाह आदि अनुष्ठानों को यूसीसी में छेड़ा नहीं गया है .

ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जिस लेवल पर जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं, उन्ही स्तरों पर शादी का रजिस्ट्रेशन होगा

ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायत सचिविबौर शहरी एरिया में सक्षम प्राधिकारियों द्वारा रजिस्ट्रेशन किया जाएगा

रजिस्ट्रेशन न कराने पर सजा का प्रावधान किया गया है

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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