बेंगलुरु/अहमदाबाद, 30 जुलाई 2025: गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने एक बड़ी कार्रवाई में बेंगलुरु से 30 वर्षीय शमा परवीन को गिरफ्तार किया है। शमा परवीन पर आतंकी संगठन अल-कायदा इन इंडियन सबकॉन्टिनेंट (AQIS) से संबंध होने और सोशल मीडिया के जरिए कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देने का आरोप है। यह गिरफ्तारी मंगलवार, 29 जुलाई 2025 को बेंगलुरु के हेब्बल इलाके में मन्नोरायनपाल्या स्थित किराए के मकान से की गई।
गुजरात ATS के उपमहानिरीक्षक (DIG) सुनील जोशी के अनुसार, शमा परवीन, जो मूल रूप से झारखंड की रहने वाली है, पिछले तीन वर्षों से अपने छोटे भाई, एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर, के साथ बेंगलुरु में रह रही थी। वह अविवाहित और बेरोजगार थी, लेकिन सोशल मीडिया, खासकर इंस्टाग्राम, के जरिए कट्टरपंथी सामग्री साझा करती थी। ATS की जांच में पाया गया कि वह अल-कायदा के एक प्रमुख आतंकी के वीडियो और भाषण शेयर करती थी, जिसमें युवाओं को आतंकवाद की ओर प्रेरित करने की कोशिश की जाती थी।
ATS को जून 2025 में मिली खुफिया जानकारी के आधार पर संदिग्ध इंस्टाग्राम अकाउंट्स की निगरानी शुरू की गई थी। इस दौरान शमा परवीन के आतंकी मॉड्यूल से संपर्क और कट्टरपंथी सामग्री साझा करने की गतिविधियां सामने आईं। वह हाल ही में गिरफ्तार किए गए चार अन्य AQIS संदिग्धों—मोहम्मद फैक (दिल्ली), जीशान अली (नोएडा), फरदीन शेख (अहमदाबाद), और सैफुल्लाह कुरैशी (मोदासा, गुजरात)—के साथ भी संपर्क में थी।
ATS ने शमा परवीन को बेंगलुरु के 8वें ACMM कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे गुजरात ले जाने के लिए ट्रांजिट वारंट प्राप्त किया गया। जांच में सामने आया कि वह ऑटो-डिलीट ऐप्स का उपयोग करती थी ताकि संचार के निशान मिटाए जा सकें। ATS ने उसके मोबाइल फोन से भारी मात्रा में डेटा बरामद किया, जिसमें जिहादी सामग्री और भारत विरोधी प्रचार शामिल था।
गुजरात ATS ने इस मामले में गैरकानूनी गतिविधियां (निवारण) अधिनियम (UAPA) की धारा 13, 18, 38, और 39 के साथ-साथ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 113, 152, 196, और 68 के तहत मामला दर्ज किया है। यह कार्रवाई भारत में आतंकी नेटवर्क को कमजोर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
ATS अब शमा परवीन और अन्य संदिग्धों के सोशल मीडिया नेटवर्क की गहन जांच कर रही है, जिसमें 62 अन्य अकाउंट्स की भी पड़ताल की जा रही है। अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की गतिविधियां देश की सुरक्षा और लोकतांत्रिक ढांचे के लिए गंभीर खतरा हैं। जांच जारी है और आगे की कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।