वाराणसी, 7 अगस्त 2025: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने शोध के क्षेत्र में एक और कीर्तिमान स्थापित किया है। शोधगंगा वेबसाइट पर पीएचडी और एमफिल थीसिस अपलोड करने के मामले में बीएचयू ने देशभर में 10वां स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि इसलिए और खास है, क्योंकि मात्र पांच साल पहले बीएचयू की ऑनलाइन उपलब्ध थीसिस की संख्या सिर्फ 250 थी, जो अब 38 गुना बढ़कर 9600 तक पहुंच गई है।
पिछले पांच वर्षों में बीएचयू ने 9400 से अधिक शोध प्रबंधों को डिजिटल मंच पर अपलोड किया है। इनमें से 3549 थीसिस हिंदी में और 56 संस्कृत में लिखी गई हैं, जो भारतीय भाषाओं में शोध को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। विषयों की बात करें तो कला और सामाजिक विज्ञान के क्षेत्र में 5000 से अधिक थीसिस हैं, जबकि विज्ञान के क्षेत्र में 4100 से ज्यादा शोध प्रबंध शामिल हैं।
शोधगंगा: शोध की गुणवत्ता और पहुंच का मंच
शोधगंगा, सूचना और पुस्तकालय नेटवर्क (इंफ्लिबनेट) द्वारा संचालित एक डिजिटल मंच है, जो देशभर के विश्वविद्यालयों के शोध कार्यों को एकत्र करता है। इसका उद्देश्य साहित्यिक चोरी को रोकना और शोध को हर व्यक्ति तक पहुंचाना है। देशभर के विश्वविद्यालयों ने शोधगंगा पर अब तक 61 हजार से अधिक थीसिस अपलोड की हैं, जो बीएचयू के योगदान से करीब साढ़े छह गुना ज्यादा है। फिर भी, बीएचयू का यह योगदान शोध के क्षेत्र में उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
लोकप्रिय विषय और थीसिस की संख्या
बीएचयू के शोध कार्यों में सामाजिक विज्ञान और कला-मानविकी जैसे विषयों का दबदबा रहा है। शीर्ष 10 विषयों में अपलोड की गई थीसिस की संख्या इस प्रकार है:
- सामाजिक विज्ञान: 3361
- कला और मानविकी: 2758
- सामाजिक विज्ञान सामान्य: 1584
- साहित्य: 1293
- अर्थशास्त्र: 890
- लाइफ साइंस: 880
- कला और मनोरंजन: 674
- भौतिक विज्ञान: 547
- समाजशास्त्र: 532
- इतिहास और भूगोल: 499
नियमों ने दी गति
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 2016 में एक नियम लागू किया था, जिसके तहत एमफिल और पीएचडी उपाधि प्रदान करने से पहले शोध की एक इलेक्ट्रॉनिक प्रति इंफ्लिबनेट के पास जमा करना अनिवार्य है। इस नियम ने शोधगंगा को एक मजबूत मंच बनाया, जिससे देशभर के विश्वविद्यालयों के शोध कार्य एक क्लिक पर उपलब्ध हो रहे हैं।
बीएचयू का योगदान और भविष्य
9600 थीसिस के साथ बीएचयू न केवल शोध की मात्रा बल्कि गुणवत्ता के मामले में भी अग्रणी बन रहा है। हिंदी और संस्कृत में शोध कार्यों का बढ़ता योगदान भारतीय भाषाओं में ज्ञान सृजन की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। यह उपलब्धि न सिर्फ बीएचयू के शोधकर्ताओं और प्रोफेसरों की मेहनत को दर्शाती है, बल्कि यह भी साबित करती है कि बनारस का यह विश्वविद्यालय ज्ञान के वैश्विक मंच पर भारत का परचम लहरा रहा है।
शोधगंगा पर बीएचयू की यह उपलब्धि नई पीढ़ी के शोधकर्ताओं को प्रेरित करेगी और शोध के क्षेत्र में और अधिक नवाचार को बढ़ावा देगी।