वाराणसी, 29 जुलाई 2025: वाराणसी का काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह हैरान करने वाली है। तेलुगु विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सी.एस. रामाचंद्र मूर्ति पर हुए बर्बर हमले ने पूरे विश्वविद्यालय को हिलाकर रख दिया है। इस घटना के विरोध में मंगलवार को प्रोफेसर और छात्र सड़कों पर उतर आए, सिंह द्वार पर धरना दिया और चक्काजाम कर नारेबाजी की। गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार को बंद कर दिया, जिससे माहौल तनावपूर्ण हो गया।
पुलिस से तीखी बहस, 48 घंटे का अल्टीमेटम
हंगामे की खबर मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन बात बनने के बजाय बिगड़ गई। प्रोफेसरों और पुलिस के बीच तीखी बहस हुई। ACP गौरव कुमार सिंह समेत पुलिस अधिकारी प्रदर्शनकारियों को समझाने की कोशिश करते रहे, लेकिन प्रोफेसर और छात्र अपनी मांग पर अड़े रहे—हमलावरों की तत्काल गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई। प्रदर्शनकारियों ने साफ कहा कि जब तक दोषियों को जेल नहीं भेजा जाता, वे पीछे नहीं हटेंगे। हालात बेकाबू होते देख पुलिस को कई थानों से अतिरिक्त फोर्स बुलानी पड़ी।
प्रोफेसर सुशील ने गुस्से में कहा, “हमारी सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए। विश्वविद्यालय में बाहरी लोगों की जांच हो, हर चौराहे पर प्रॉक्टोरियल बोर्ड का सदस्य तैनात हो। पहले भी शिक्षकों पर हमले हुए, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। हम 48 घंटे में हमलावरों की गिरफ्तारी चाहते हैं।”
“रिटायरमेंट से पहले प्रोफेसर पर हमला, प्रशासन खामोश”
प्रो. ज्ञान प्रकाश ने आक्रोश जताते हुए कहा, “प्रो. मूर्ति के रिटायरमेंट में सिर्फ 6 महीने बचे हैं। अराजक तत्वों ने उन पर हमला कर उनका हाथ तोड़ दिया। पुलिस सिर्फ आश्वासन दे रही है, और विश्वविद्यालय प्रशासन पूरी तरह खामोश है। अगर अगले 24-48 घंटों में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो सभी शिक्षक मिलकर बड़ा आंदोलन करेंगे।”
क्या हुआ था उस दिन?
घटना 28 जुलाई की शाम की है, जब प्रो. मूर्ति अपनी बाइक से बृज एन्क्लेव कॉलोनी स्थित अपने घर जा रहे थे। भोजपुरी अध्ययन केंद्र से बिड़ला रुइया चौराहे के रास्ते पर दो बाइक सवार बदमाशों ने उन्हें रोका और रॉड से हमला कर दिया। इस हमले में प्रोफेसर के दोनों हाथों में कई जगह फ्रैक्चर हो गए, और शरीर पर गंभीर चोटें आईं। मौके पर मौजूद छात्रों ने शोर मचाया, जिसके बाद हमलावर भाग निकले। घायल प्रोफेसर को तुरंत ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है। प्रो. मूर्ति ने लंका थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने बताया कि शायद किसी और को समझकर उन पर हमला किया गया।
ABVP और विपक्ष की प्रतिक्रिया
ABVP के प्रांतीय मंत्री अभय सिंह ने इस हमले की कड़ी निंदा की और उच्चस्तरीय जांच की मांग की। उन्होंने कहा, “दोषियों की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।” दूसरी ओर, कांग्रेस नेता अजय राय ने ‘X’ पर तीखा हमला बोलते हुए लिखा, “BHU को शिक्षा का मंदिर नहीं, राजनीतिक अखाड़ा बना दिया गया है। BJP नेताओं की घुसपैठ के बाद ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं। क्या यही है ‘डबल इंजन’ की काशी में शिक्षकों की सुरक्षा?”
पुलिस का दावा: जल्द होगी कार्रवाई
ACP गौरव कुमार सिंह ने बताया कि मामले में FIR दर्ज कर ली गई है, और तीन टीमें हमलावरों की तलाश में जुट गई हैं। उन्होंने कहा, “प्रदर्शनकारी प्रोफेसरों को समझाकर शांत किया गया है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”
आगे क्या?
यह घटना BHU में सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े करती है। प्रोफेसर और छात्रों का गुस्सा जायज है, क्योंकि यह पहला मामला नहीं है जब विश्वविद्यालय में शिक्षकों पर हमला हुआ हो। अगर पुलिस और प्रशासन ने जल्द कार्रवाई नहीं की, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है। सवाल यह है कि क्या BHU में शिक्षकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाएगी, या यह मसला सिर्फ आश्वासनों तक सीमित रह जाएगा?