गोरखपुर, 29 दिसंबर 2024, रविवार। दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी में भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा हुई। इस संगोष्ठी का आयोजन विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग एवं भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया “भाई” के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने इस संगोष्ठी का उद्घाटन किया, जबकि भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस की पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता बुधु मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। डॉ. बुधु ने भोजपुरी भाषा को “गायन की भाषा” बताया और इसे भावनाओं की भाषा के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने भोजपुरी को मान्यता प्राप्त भाषा का दर्जा दिलाने की आवश्यकता पर जोर दिया और मॉरीशस में भोजपुरी भाषा के प्रचार-प्रसार के अपने अनुभव साझा किए। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि भोजपुरी केवल भाषा नहीं, यह हमारी संस्कृति, परंपरा और अस्मिता का प्रतीक है। उन्होंने मॉरीशस और भारत के बीच शोध और सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम के आयोजन समिति के संयोजक डॉ. राकेश कुमार श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों और उपस्थित जनसमूह का स्वागत व अभिनंदन करते हुए भोजपुरी भाषा और संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा, “भोजपुरी को न केवल संरक्षित करने की जरूरत है, बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के प्रयास भी जरूरी हैं।” भोजपुरी संस्कृति के महत्व पर चर्चा करते हुए, प्रो. अजय कुमार शुक्ल ने कहा कि भोजपुरी हमारी जड़ों और संस्कृति का प्रतीक है, और इसे संरक्षित और प्रोत्साहित करना हर एक व्यक्ति का कर्तव्य है। उन्होंने यह भी बताया कि भोजपुरी भाषा का विस्तार विश्व के सभी महाद्वीपों पर है, और इसका महत्व वैश्विक स्तर पर बढ़ रहा है।
इस कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं ने भोजपुरी साहित्य, संगीत और शोध की नई दिशाओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए। डॉ. सरिता बुधु और अन्य अतिथियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भोजपुरी को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए कृतज्ञता ज्ञापित की गई। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए हमें सामूहिक प्रयास करने होंगे। भाषा आयोग नेपाल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल ठाकुर ने भोजपुरी को साहित्यिक दृष्टिकोण से प्रासंगिक बनाने के लिए सामूहिक प्रयासों की अपील की। उन्होंने कहा कि भोजपुरी साहित्य को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए हमें मिलकर काम करना होगा।
अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष बृज भूषण मिश्र ने भोजपुरी साहित्य और इसके ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भोजपुरी साहित्य में हमारी संस्कृति और परंपराओं का समृद्ध इतिहास है, और इसका अध्ययन करना हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। विश्वविद्यालय के प्रो शरद मिश्र एवं प्रो. विमलेश मिश्र ने भोजपुरी भाषा एवं संस्कृति पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के लिए हमें अपनी जड़ों से जुड़ना होगा।
सिंगापुर से आए नीरज चतुर्वेदी ने ऐसे आयोजनों की सराहना करते हुए इस कार्यक्रम को मील का पत्थर कहा। उन्होंने कहा कि भोजपुरी संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए हमें ऐसे आयोजनों को और भी व्यापक बनाना होगा। यह संगोष्ठी भोजपुरी भाषा और संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक पहल रही। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए, जिनमें भोजपुरी गीत, नृत्य और नाटकों का प्रदर्शन किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत में कुलपति प्रो. पूनम टंडन द्वारा अमृता कला वीथिका में भोजपुरिया संस्कृति पर आधारित प्रदर्शनी के उद्घाटन से हुई। प्रदर्शनी का आयोजन भोजपुरी एसोसिएशन द्वारा किया गया था, जिसमें उपवास, त्योहार, विवाह और भोजपुरिया जीवन के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं को दर्शाने वाली सुंदर पेंटिंग्स प्रदर्शित की गईं। कुलपति ने इस प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा कि, ये चित्र हमारी सांस्कृतिक धरोहर की विविधता और समृद्धि को दिखाते हैं और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने का प्रयास करते हैं। कार्यक्रम में आदित्य कुमार बांसुल की पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया, जिसे भोजपुरी साहित्य में एक मील का पत्थर माना जा रहा है।
मुख्य अतिथि ने भेंट की अपनी पुस्तकें
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस की पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता बुधु ने अपनी भोजपुरी किताबों को कुलपति प्रो. पूनम टंडन, प्रो. अजय कुमार शुक्ला एवं डॉ. राकेश श्रीवास्तव को भेंट किया।
आयोजित हुआ ‘माटी के लाल’ सम्मान समारोह
इस कार्यक्रम के अंतिम भाग में सम्मान समारोह आयोजित किया गया। रविवार शाम 6:30 बजे आयोजित इस कार्यक्रम में भोजपुरी के लिए समर्पित साहित्यकार, लेखक, समीक्षक एवं गीतकारों को ‘माटी के लाल’ सम्मान से सम्मानित किया गया। साथ ही, भोजपुरी भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, मॉरीशस की पूर्व अध्यक्ष डॉ. सरिता बुद्धू को लोक गायिका मैनावती देवी लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
ये हुए सम्मानित
सम्मानित होने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में प्रो. ब्रजभूषण मिश्र, प्रो. जयकांत सिंह जय (मुजफ्फरपुर), डॉ. गोपाल ठाकुर (नेपाल), मनोज भावुक, केशव मोहन पांडेय (दिल्ली), प्रो. राम नारायण त्रिपाठी (गाजीपुर), यशिंद्र प्रसाद (पटना), कनक किशोर (रांची), संगीत सुभाष (गोपालगंज) एवं सुभाष यादव (गोरखपुर) शामिल हैं। यह सम्मान महापौर गोरखपुर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन पर सुप्रसिद्ध नाट्य निर्देशक मानवेंद्र त्रिपाठी के निर्देशन में भोजपुरी के शेक्सपीयर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की अमर कृति ‘विदेसिया’ का मंचन हुआ।