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Wednesday, April 24, 2024

भोजपुरी एक्टर रवि किशन का स्ट्रगलर से पहले सुपरस्टार बनने का दिलचस्प किस्सा

कभी आपने गौर किया है कि उभरते सुपरस्टार कार्तिक आर्यन ने फिल्मों में आने पर अपना असली नाम कार्तिक तिवारी क्यों नहीं इस्तेमाल किया, या फिर कि मनोज शुक्ला क्यों मनोज मुंतशिर बन गए? उत्तर भारत से आए बड़े सितारों में मनोज तिवारी ही ऐसे रहे जिन्होंने अपना नाम नहीं बदला लेकिन उनके साथ ही भोजपुरी में शोहरत पाने वाले रवि किशन शुक्ला ने कभी अपने सरनेम का इस्तेमाल सिनेमा में नहीं किया। वह अपना नाम रवि किशन ही लिखते रहे और उनकी कद काठी ऐसी है कि फिल्म निर्माता मोहनजी प्रसाद ने उन्हें मराठी अभिनेता समझकर रिजेक्ट ही कर दिया था। ये तो भला हो अभिनेता ब्रजेश त्रिपाठी का जिन्होंने निर्माता को उनकी जन्मभूमि के बारे में विस्तार से बता दिया।

खास बातचीत में ब्रजेश त्रिपाठी बताते हैं, ‘ये तब की बात है जब मैं टेलीविजन पर लगातार और खूब काम कर रहा था। एक दिन कोलकाता से मोहनजी प्रसाद का फोन आया और अपनी अगली फिल्म को उन्होंने भोजपुरी और बांग्ला में एक साथ बनाने की जानकारी दी। फिर थोड़ा रुककर उन्होंने किसी नए चेहरे पर दांव लगाने की चर्चा की और मुझसे कहा कि कोई नया लड़का हो बताएं। भोजपुरी के सारे हीरो तब तक एक साथ उम्रदराज हो गए थे। मैं रवि किशन को जनता था। रवि किशन के साथ गांव से हमारा पारिवारिक रिश्ता रहा है।’

मोहनजी प्रसाद कोलकाता से मुंबई आए। उस समय ब्रजेश कई धारावाहिकों की शूटिंग में व्यस्त थे और चाहकर भी उनसे मिल नहीं पा रहे थे। एक दिन जैसे ही उनसे भेंट हुई वह छूटते ही ब्रजेश से बोले, ‘देखे कोई लड़का?’ ब्रजेश त्रिपाठी ने दूरदर्शन के धारावाहिक ‘हवाएं’ में काम कर रहे एक नए लड़के के बारे में उन्हें बताया और जल्द ही उसे लेकर मोहनजी प्रसाद के पास आने की बात कही। फिर एक दिन रवि किशन को लेकर रात 10.30 बजे ब्रजेश त्रिपाठी पहुंच गए मोहनजी प्रसाद के पास। रवि किशन को देखकर मोहनजी प्रसाद हताश हो गए। बोले, ‘ये मराठी लड़के को कहां से उठा लाए?’ ब्रजेश त्रिपाठी ने मोहनजी प्रसाद को बताया कि इस लड़के का नाम रवि किशन शुक्ला है और यह जौनपुर का रहने वाला है।

मोहनजी प्रसाद ने इसके बाद रवि किशन को उनकी बतौर हीरो पहली फिल्म ‘सइयां हमार’ दी। फिल्म की शूटिंग कोलकाता में हुई और रवि किशन को ब्रजेश त्रिपाठी ही लेकर गए। साल 2001 में बनी ये फिल्म साल 2002 में होली के दिन रिलीज हुई। फिल्म का सिर्फ एक प्रिंट निकाला गया। लेकिन, फिल्म ने दर्शकों के बीच ऐसा तहलका मचाया कि जब फिल्म क सिल्वर जुबली हुई तो ये फिल्म बिहार के 66 सिनेमाघरों में चल रही थी। ‘सइयां हमार’ के बाद ‘सइयां से कर दे मिलनवा हमार’ रिलीज हुई। उसके बाद साल 2004 में आई ‘गंगा जइसन माई हमार’ भी हिट रही और इसी साल मनोज तिवारी की फिल्म ‘ससुरा बड़ा पइसावाला’ ने कमाई के सारे रिकार्ड तोड दिए।

साल 2005 भोजपुरी सिनेमा के लिए परिवर्तन काल बनकर आया। मनोज तिवारी और रवि किशन की फिल्मों की कामयाबी को देख तमाम हिंदी फिल्म निर्माता भी भोजपुरी सिनेमा में आए। उधर, मनोज तिवारी ने अपनी लोकप्रियता को भोजपुरी सिनेमा और हिंदी सिनेमा के बीच पुल बनाने में इस्तेमाल किया। अमिताभ बच्चन, मिथुन चक्रवर्ती, अजय देवगन जैसे सितारों के साथ उन्होंने फिल्में बनाईं। लेकिन भोजपुरी फिल्मों की इस लोकप्रियता को खराब करने का काम किया, इसके बाद बनीं तमाम ऐसी फिल्मों ने जिनमें अश्लीलता बढ़ती ही चली गई और अब हाल ये है कि नई भोजपुरी फिल्में सिनेमाघरों का मुंह तक नहीं देख पा रही हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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