नई दिल्ली, 29 जून 2025: अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर तैनात भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने न केवल अंतरिक्ष से भारत की खूबसूरती का बखान किया, बल्कि भारतीय व्यंजनों से विदेशी अंतरिक्ष यात्रियों का दिल भी जीत लिया। शुभांशु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई 18 मिनट की बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने साथ गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस ले गए हैं। इन स्वादिष्ट भारतीय व्यंजनों का स्वाद उनके विदेशी सहयोगियों को भी खूब भाया।
अंतरिक्ष से भारत: एकता और भव्यता का अनुपम नजारा
शुभांशु ने पीएम मोदी को बताया कि अंतरिक्ष से भारत का नजारा किसी नक्शे से कहीं अधिक भव्य और विशाल दिखता है। “यहां से कोई सीमा रेखा नहीं दिखती। ऐसा लगता है जैसे पूरी धरती हमारा घर है और हम इसके नागरिक हैं। यह एकता की अनुभूति है,” उन्होंने कहा। 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे अंतरिक्ष स्टेशन से शुभांशु ने यह भी बताया कि वे 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यात्रा कर रहे हैं और हर दिन 16 सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का सौभाग्य प्राप्त कर रहे हैं।
‘भारत माता की जय’ से गूंजा अंतरिक्ष
बातचीत के अंत में पीएम मोदी ने कहा, “शुभांशु, आप आज भारत की धरती से सबसे दूर हैं, लेकिन हर भारतीय के दिल के सबसे करीब हैं। आपके नाम में ‘शुभ’ है, और यह यात्रा नए युग की शुभ शुरुआत है।” इसके बाद जब पीएम ने ‘भारत माता की जय’ का नारा लगाया, तो शुभांशु ने भी उत्साह के साथ उनका साथ दिया। इस तरह अंतरिक्ष स्टेशन भारतीय गौरव के इस नारे से गूंज उठा।
एक्सिओम-4 मिशन: 14 दिन का वैज्ञानिक सफर
शुभांशु शुक्ला 24 जून को वाणिज्यिक एक्सिओम-4 मिशन के तहत तीन अन्य अंतरिक्ष यात्रियों के साथ आईएसएस पहुंचे। यह दल 14 दिनों तक वहां रहकर विज्ञान संबंधी प्रयोगों में हिस्सा लेगा। वर्तमान में आईएसएस पर छह देशों के 11 अंतरिक्ष यात्री मौजूद हैं। शुभांशु की यह उपलब्धि न केवल भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की प्रगति को दर्शाती है, बल्कि भारतीय संस्कृति और एकता को वैश्विक मंच पर चमकाने का भी प्रतीक है।
भारत की प्रगति की रफ्तार
शुभांशु ने अपनी गति का जिक्र करते हुए कहा, “28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हमारी प्रगति का प्रतीक है। अब हमें इससे भी आगे जाना है।” उनकी यह बात भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम और वैश्विक मंच पर बढ़ते कद को रेखांकित करती है। यह खबर न केवल भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे भारतीय संस्कृति और विज्ञान अंतरिक्ष की ऊंचाइयों तक पहुंच रहे हैं।