भगवंत मान की टिप्पणी: गैरजिम्मेदाराना बयानबाजी का एक और अध्याय
नई दिल्ली, 11 जुलाई 2025: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान एक बार फिर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह उनकी दूरदर्शिता या उपलब्धियां नहीं, बल्कि उनकी गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी है, जिसने विदेश मंत्रालय को जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया। मान ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों—ब्राजील, घाना, त्रिनिदाद-टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया—की यात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि वह 140 करोड़ की आबादी वाले भारत को छोड़कर 10,000 की आबादी वाले देशों में समय बिताते हैं। इस बयान ने न केवल उनकी समझ की कमी को उजागर किया, बल्कि भारत की कूटनीतिक छवि को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की।
विदेश मंत्रालय ने बिना नाम लिए, लेकिन स्पष्ट संकेत के साथ, इस टिप्पणी को “गैरजिम्मेदाराना” और “खेदजनक” करार दिया। मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साफ कहा कि भारत सरकार ऐसी बयानबाजी से खुद को अलग करती है, जो ग्लोबल साउथ के मित्र देशों के साथ भारत के मजबूत रिश्तों को कमजोर करती है। यह पहली बार नहीं है जब मान के बयानों ने विवाद को जन्म दिया हो, लेकिन इस बार उनकी टिप्पणी ने न केवल राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज किया, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की साख को भी चुनौती दी।
मान का यह बयान उनकी संकीर्ण सोच को दर्शाता है। प्रधानमंत्री की विदेश यात्राएं केवल पर्यटन नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक, कूटनीतिक और रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने का एक हिस्सा हैं। ग्लोबल साउथ के देशों के साथ भारत के रिश्ते, विशेष रूप से ब्राजील और नामीबिया जैसे देशों के साथ, व्यापार, ऊर्जा, और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर सहयोग के लिए महत्वपूर्ण हैं। त्रिनिदाद-टोबैगो और घाना जैसे छोटे देश भी भारत के लिए सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से महत्व रखते हैं, खासकर प्रवासी भारतीय समुदाय के साथ संबंधों को मजबूत करने में। मान का इन देशों की आबादी को लेकर किया गया तंज न केवल तथ्यात्मक रूप से गलत है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वह वैश्विक कूटनीति के जटिल ताने-बाने को समझने में नाकाम रहे हैं।
यह बयान उस नेता की छवि को और धूमिल करता है, जो पहले से ही अपने प्रशासनिक फैसलों और बयानों के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहा है। पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में, मान से अपेक्षा की जाती है कि वह अपनी बात को तथ्यों और जिम्मेदारी के साथ रखें। लेकिन उनकी यह टिप्पणी न केवल अपरिपक्व है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि के प्रति कितने असंवेदनशील हैं।
आलोचकों का मानना है कि मान का यह बयान उनकी पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जो केंद्र सरकार के खिलाफ अनावश्यक विवाद खड़ा करने पर केंद्रित है। लेकिन इस तरह की सस्ती बयानबाजी न तो पंजाब के हित में है और न ही देश के। एक मुख्यमंत्री को चाहिए कि वह अपनी ऊर्जा राज्य के विकास, कानून-व्यवस्था और जनकल्याण पर केंद्रित करे, न कि ऐसी टिप्पणियों पर, जो केवल सुर्खियां बटोरने का काम करती हैं।
अंत में, भगवंत मान का यह बयान एक बार फिर साबित करता है कि जिम्मेदारी और बयानबाजी में संतुलन बनाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण है। विदेश मंत्रालय ने उनकी टिप्पणी को सही मायनों में “गैरजिम्मेदाराना” करार देकर यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसी बयानबाजी न तो स्वीकार्य है और न ही भारत जैसे वैश्विक शक्ति बनने की राह पर अग्रसर देश के लिए उपयुक्त। मान को चाहिए कि वह भविष्य में अपनी बात रखने से पहले तथ्यों की पड़ताल करें और देशहित को सर्वोपरि रखें।