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Sunday, February 23, 2025

बेटी का भावुक पोस्ट- पापा नहीं रहे,जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन

जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव नहीं रहे। गुरुवार रात गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हो गया। वह 75 साल के थे। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी बेटी ने निधन की जानकारी दी। उनका पार्थिव शरीर दिल्ली के छतरपुर स्थित उनके निवास स्थान पर रखा गया, जहां लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे।

शरद यादव की बेटी शुभाषिनी यादव ने ट्वीट करके पिता के निधन की जानकारी दी। शुभाषिनी ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘पापा नहीं रहे।’ सूत्रों के मुताबिक, अपने अंतिम समय में वे बीमार चल रहे थे और उनका इलाज गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में चल रहा था। शरद यादव के निधन से पूरे राजनीतिक जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

मध्य प्रदेश में पैतृक गांव में होगा अंतिम संस्कारशरद यादव के दामाद राज कमल राव ने कहा, उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था, हम उन्हें अस्पताल लेकर गए। वहां पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उन्हें किडनी की समस्या थी और डायलिसिस पर थे। उनके पार्थिव शरीर को मध्य प्रदेश में उनके पैतृक गांव ले जाया जाएगा जहां अंतिम संस्कार किया जाएगा।

फोर्टिस अस्पताल ने जारी किया बयान गुड़गांव के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बयान जारी करते हुए कहा, शरद यादव को बेहोशी की हालत में गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में इमरजेंसी में लाया गया था। जांच करने पर उनके शरीर में कोई हलचल नहीं थी और रक्तचाप भी मापने योग्य नहीं था।

एसीएलएस प्रोटोकॉल के तहत उनका सीपीआर किया गया। तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें सामान्य नहीं किया जा सका और रात 10 बजकर 19 मिनट पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। हम उनके परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करना चाहते हैं।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके थेशरद यादव जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके थे। उनका नाम देश के बड़े समाजवादी नेताओं में शुमार किया जाता था। उनके करीबियों के मुताबिक, शरद यादव का राजनीतिक कद इतना ऊंचा था कि जब वे बोलते थे तो पूरा देश सुनता था। मंत्री रहे हों या विपक्ष के सांसद, उनके सामने कभी कोई ऐसा सवाल नहीं आया जिसका जवाब उन्हें नहीं सूझा हो। उनका जवाब सुनकर प्रश्न पूछने वाले चुप रह जाया करते थे।

शरद यादव का जन्म 1 जुलाई 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के बंदाई गांव में किसान परिवार में हुआ था। किसान के घर जन्मे शरद पढ़ने लिखने में काफी तेज थे। छात्र राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति में पहचान बनाने वाले शरद यादव ने बिहार की राजनीति में भी बड़ा मुकाम हासिल किया था। शरद यादव ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और फिर बिहार में अपना राजनीतिक परचम लहराया था। नीतीश कुमार से हुए विवाद के बाद उन्होंने जदयू का साथ छोड़ दिया था। वो बिहार की मधेपुरा सीट से कई बार सांसद रह चुके थे।

वे डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से बहुत प्रेरित थे। उन्हीं से प्रेरणा पाकर शरद यादव ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया था। इतना ही नहीं, वे MISA के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में जेल भी गए। सक्रिय राजनीति में शरद यादव ने साल 1974 में कदम रखा था तब वे वे पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद बने। वे कुल सात बार यूपी एमपी और बिहार से चुनकर लोकसभा पहुंचे थे। उनके राजनीतिक कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वे कई सरकारों में केंद्रीय मंत्री भी रहे।

शरद यादव ने अपनी खुद की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल शुरू की थी। मार्च 2020 में उन्होंने लालू यादव के संगठन राजद में विलय कर लिया। उन्होंने कहा था कि एकजुट विपक्ष की ओर पहला कदम था।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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