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Monday, June 30, 2025

बंगाल : चुनाव को लेकर सभी राजनैतिक दलों ने कमर कस लिया है

विधानसभा चुनाव 2021 की तारीखों का ऐलान हो चुका है. राज्य में 8 चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. 2 मई को नतीजों का ऐलान किया जाएगा. चुनाव को लेकर सभी दल कमर कस चुके हैं. अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी हस्तियों के राजनैतिक दलों में शामिल होने और नेताओं के दल बदलने का सिलसिला भी जारी है. बीते दिन बांग्ला फिल्म अभिनेत्री श्राबंती चटर्जी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुईं। पश्चिम बंगाल के चुनावी समर में जहां सीधा मुकाबला तृणमूल और भाजपा के बीच नजर आ रहा है। वहीं लेफ्ट-कांग्रेस की रैली में भारी भीड़ का उमड़ना क्या कुछ और संकेद दे रहा है ? हालांकि ऐसा नहीं है कि सिर्फ लेफ्ट की रैली में ही भारी भीड़ उमड़ी हो। हुबली में भाजपा की रैली समेत तृणमूल कांग्रेस की रैलियों में भी ऐसी भीड़ देखी गई है। लेकिन दोनों दल मुकाबले में हैं। जबकि लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को लेकर अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वह त्रिकोणीय मुकाबले के हालात पैदा कर पाएगा या नहीं।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सत्तारुढ़ दल की रैली में भीड़ जुटना कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि उसका लोगों में समर्थन होता है। दूसरे, उसके पास संसाधन होते हैं तीसरे सत्ता की ताकत भी होती है। इसलिए तृणमूल की रैलियों में भीड़ होना स्वभाविक है। जहां तक भाजपा का प्रश्न है, भाजपा तृणमूल को कड़ी चुनौती दे रही है। दूसरे, केंद्र की सत्ता में होने, देश की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते संसाधनों से भी मजबूत है। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या गृहमंत्री अमित शाह की सभाओं में भारी भीड़ जुटना स्वभाविक है। यह दर्शाता है कि भाजपा मुकाबले में है।
वाम-कांग्रेस गठबंधन की कोलकात्ता में हुई रैली में दस लाख से अधिक लोगों के जुटने के दावे किए जा रहे हैं। इस रैली में सीताराम येचुरी थे लेकिन कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नहीं था। अधीर रंजन चौधरी इस रैली की सफलता का श्रेय लेफ्ट को देते हैं। ऐसे में रैली के संकेत क्या हैं ? क्या यह लेफ्ट के प्रभावी रूप से उभरने की ओर संकेत है ? लेकिन सवाल यह है कि लोकसभा चुनावों के दौरान भी वामदलों की रैलियों में ऐसी ही भीड़ नजर आई थी लेकिन जब नतीजे आए तो उनका मत प्रतिशत में भारी गिरावट आई थी।

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newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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