नई दिल्ली, 30 मई 2025 :
आजकल वजन कम करने और सेहत सुधारने के लिए लोग कई तरह की डाइट्स अपनाते हैं, जिनमें से एक है ‘वाटर फास्टिंग’ या ‘वाटर डाइट’। इस डाइट में व्यक्ति कुछ दिन के लिए केवल पानी पीता है और ठोस भोजन से परहेज करता है। दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट की चीफ डायटिशियन प्रिया पालीवाल के अनुसार, यह डाइट शरीर को डिटॉक्स करने, वजन कम करने और पाचन तंत्र को आराम देने में मदद कर सकती है, लेकिन इसे सीमित समय के लिए ही अपनाना चाहिए।
प्रिया पालीवाल कहती हैं कि वॉटर फास्टिंग भूख को कंट्रोल करने में सहायक होती है और इंसुलिन लेवल को बेहतर बनाती है। हालांकि, इस डाइट को केवल एक-दो दिन तक ही अपनाना चाहिए और वह भी विशेषज्ञ की निगरानी में। बिना सही मार्गदर्शन के इसे करने पर शरीर कमजोर पड़ सकता है, चक्कर आना, थकान, लो ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर गिरने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। खासकर डायबिटीज, ब्लड प्रेशर या हार्ट के मरीजों के लिए यह डाइट खतरनाक साबित हो सकती है।
वाटर फास्टिंग करते समय शरीर की जरूरतों को समझना जरूरी होता है। प्रिया पालीवाल बताती हैं कि यदि डाइट के दौरान कमजोरी, मतली या सिर दर्द हो तो तुरंत इसे बंद कर देना चाहिए और हल्का पौष्टिक भोजन लेना चाहिए। इस डाइट को बिना डॉक्टरी सलाह के अपनाना सही नहीं है।
वाटर फास्टिंग का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि यदि इसे अधिक समय तक किया जाए तो शरीर को आवश्यक पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए डाइट शुरू करने से पहले पूरी हेल्थ जांच और डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
कुल मिलाकर, वाटर फास्टिंग एक सीमित अवधि के लिए उपयोगी हो सकती है, लेकिन इसे सावधानी और विशेषज्ञ की देखरेख में ही अपनाना चाहिए ताकि सेहत को कोई नुकसान न हो।